बालोद: बालोद जिला का 70% भूभाग वन परिक्षेत्र से घिरा हुआ है (Balod Green Commando Virendra Singh). यहां पर हाथियों का भी इन दिनों डेरा बना हुआ है. ऐसे में जंगलों को संवारने और जागरूकता लाने बालोद जिले के ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह आगे आए हैं. बालोद जिला सहित कांकेर जिले के जंगलों में इन्होंने वनमानव वेशभूषा धारण कर लोगों को जागरूक करने की अपील की है.
लोग रह गए सन्न: एक तरफ लोग जहां आधुनिक जीवन जीने के आदि हो चुके हैं. ऐसे में वनवासी वेशभूषा में यह ग्रीन कमांडो की टीम जब जंगलों में उतरी. स्थानीय लोगों ने इन्हें देखा, तो वे सन्न रह गए. दरअसल इनकी वेशभूषा एकदम ऐसी थी, जो कि जंगलों में निवास करते हैं. जंगलों से ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं और जंगलों से ही अपने वस्त्र निर्मित कर धारण करते हैं.
ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह लगातार कर रहे प्रयास:ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि "हम लगातार वन्य प्राणियों के संरक्षण और जल संरक्षण को लेकर प्रयास कर रहे हैं. परंतु लोगों पर इसका असर कम ही देखने को मिल रहा है. आज हमने एक अनोखे ढंग से जंगलों में जंगली वेशभूषा धारण कर लोगों को जागरूक करने का काम किया है."
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जल जंगल नहीं, तो हम नहीं:ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह के साथ उनकी 3 सदस्य टीम बालोद जिले के तटीय जंगलों में अनोखे प्रदर्शन करने पहुंची. उन्होंने इसके माध्यम से संदेश दिया कि यदि जल और जंगल नहीं रहेगा, तो हम भी नहीं रहेंगे. जल और जंगल से ही मानव जीवन की उत्पत्ति और विनाश भी जुड़ा हुआ है.
प्रकृति के संरक्षण के साथ हो विकास:ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि "एक तरफ विकास शासन प्रशासन की पहली प्राथमिकता होती है. तो प्रकृति भी इनमें शामिल होना चाहिए. विकास के साथ प्रकृति का संरक्षण शासन और प्रशासन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. एक तरफ जहां इंडस्ट्री बसा रहे हैं, जंगलों को काट रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर काफी मात्रा में जल संरक्षण के लिए प्रयास और वृक्षारोपण इत्यादि करना चाहिए."
अनोखी जागरूकता:यह एक अनोखे रूप मेंं जागरूकता लाने का प्रयास है. जो बालोद जिले के तटीय वन क्षेत्रों में देखने को मिली. इस प्रदर्शन को लेकर पूरे बालोद जिले सहित पूरे प्रदेश में चर्चा है. जंगलों में यह प्राचीन समय में संघर्षपूर्ण जीवन यापन करने वाले वनवासियों की कहानी को बताई गई है.