बालोद:महाराष्ट्र के चंद्रपुर से 4 महीने का बच्चा लेकर एक परिवार अपने गांव लौटा था. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर उन्हें गुंडरदेही विकासखंड के टटेंगा में क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था, लेकिन क्या पता था कि यहां से उस बच्चे के माता-पिता अपनी सूनी गोद लेकर घर जाएंगे. सिस्टम की लापरवाही और जिम्मेदारों के गैरजिम्मेदार रवैये ने मासूम की जिंदगी छीन ली.
बच्चा परिवार के साथ गुंडरदेही विकासखंड के टटेंगा गांव में क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहा था. इसी बीच उसकी तबीयत बिगड़ गई. बच्चे को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया. लेकिन जब वहां तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डॉक्टर ने मासूम को जिला अस्पताल रेफर कर दिया. परिवार का आरोप है कि जिला अस्पताल प्रबंधन ने 4 महीने के बच्चे को भर्ती करने में आनाकानी की. जब एडमिट किया तो इलाज मिलने में देरी हुई और इसका नतीजा ये हुआ कि मासूम की मौत हो गई.
परिवार नहीं सौंप रहा था बच्चे का शव
कोरोना के संक्रमण के डर की वजह से बच्चे की लाश प्रशासन लेना चाहता था, लेकिन मां अपने जिगर के टुकड़े के शव को अपने आंचल से अलग नहीं कर रही थी. पुलिस, प्रशासन यहां तक कि विधायक को अपनी टीम भेजनी पड़ी तब जाकर परिवार ने बच्चे का शव सौंपा. मासूम के खून का सैंपल 24 मई को कोरोना जांच के लिए एम्स भेजा गया है इसलिए प्रशासन किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता था. जिंदगी रहते न सही लेकिन मासूम की मौत के बाद स्वास्थ्य अमला बहुत सतर्क नजर आया.