छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

वो बच्चा लेकर भटकते रहे, कोई सुनने वाला नहीं था, मासूम तड़प कर मर गया... - जिला हॉस्पिटल बालोद

बालोद जिले के गुंडरदेही विकासखंड के टटेंगा में 4 महीने के एक बच्चे की मौत हो गई है. बच्चा परिवार के साथ क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहा था. लेकिन इसी बीच तबीयत बिगड़ने के बाद उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में रेफर किया गया. वहां भी बच्चे की स्थिति ठीक नहीं हुई तो उसे बालोद जिला अस्पताल रेफर किया गया. परिवार का आरोप है कि जिला अस्पताल में बच्चे को एडमिट करने में लापरवाही बरती गई. जिससे उसकी मौत हो गई.

Child dies of 4 months in Balod
बालोद में 4 महीने के मासूम की मौत

By

Published : May 28, 2020, 8:08 PM IST

Updated : May 28, 2020, 9:19 PM IST

बालोद:महाराष्ट्र के चंद्रपुर से 4 महीने का बच्चा लेकर एक परिवार अपने गांव लौटा था. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर उन्हें गुंडरदेही विकासखंड के टटेंगा में क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया था, लेकिन क्या पता था कि यहां से उस बच्चे के माता-पिता अपनी सूनी गोद लेकर घर जाएंगे. सिस्टम की लापरवाही और जिम्मेदारों के गैरजिम्मेदार रवैये ने मासूम की जिंदगी छीन ली.

4 महीने के मासूम की मौत

बच्चा परिवार के साथ गुंडरदेही विकासखंड के टटेंगा गांव में क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहा था. इसी बीच उसकी तबीयत बिगड़ गई. बच्चे को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया. लेकिन जब वहां तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डॉक्टर ने मासूम को जिला अस्पताल रेफर कर दिया. परिवार का आरोप है कि जिला अस्पताल प्रबंधन ने 4 महीने के बच्चे को भर्ती करने में आनाकानी की. जब एडमिट किया तो इलाज मिलने में देरी हुई और इसका नतीजा ये हुआ कि मासूम की मौत हो गई.

परिवार नहीं सौंप रहा था बच्चे का शव

कोरोना के संक्रमण के डर की वजह से बच्चे की लाश प्रशासन लेना चाहता था, लेकिन मां अपने जिगर के टुकड़े के शव को अपने आंचल से अलग नहीं कर रही थी. पुलिस, प्रशासन यहां तक कि विधायक को अपनी टीम भेजनी पड़ी तब जाकर परिवार ने बच्चे का शव सौंपा. मासूम के खून का सैंपल 24 मई को कोरोना जांच के लिए एम्स भेजा गया है इसलिए प्रशासन किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता था. जिंदगी रहते न सही लेकिन मासूम की मौत के बाद स्वास्थ्य अमला बहुत सतर्क नजर आया.

अस्पताल पर घोर लापरवाही का आरोप

परिवार ने बताया कि बच्चे को अस्पताल लाने पर प्रबंधन ने कहा कि, इसे यहां लाने की क्या जरूरत है, इसका इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी किया जा सकता है. वहीं डॉक्टर भी मासूम के पास जाने से कतराते रहे. परिजनों ने आरोप लगाया कि पीपीई किट पहनने में भी डॉक्टरों ने काफी समय लगाया, जिसके कारण उनके बेटे ने तड़प कर दम तोड़ दिया.

कार्रवाई की मांग

परिवार ने हंगामा किया तो पुलिस को शव लेने आना पड़ा क्योंकि माता-पिता बेटे के शव को सौंपने के लिए तैयार नहीं थे. अस्पताल वाले समझाते रहे, प्रशासन हाथ-पैर जोड़ता रहा, विधायक की टीम ने पहुंचकर समझाइश दी तब कहीं जाकर परिवार ने बच्चे का शव सौंपा. परिवार और जनप्रतिनिधियों ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. सरपंच ने भी गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है और कार्रवाई की मांग की है. विधायक प्रतिनिधियों ने कलेक्टर के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. जानकारी के अनुसार विधायक और कलेक्टर ने भी एम्स से संपर्क किया है कि जल्द ही बच्चे की कोरोना रिपोर्ट आए, ताकि शव का अंतिम संस्कार किया जा सके.

Last Updated : May 28, 2020, 9:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details