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रकबा कम कर धान खरीदी से बच रही सरकार: केदार गुप्ता

छत्तीसगढ़ भाजपा के संगठन मंत्री और बालोद प्रभारी केदार गुप्ता ने धान खरीदी के मुद्दे पर भूपेश सरकार पर निशाना साधा है. केदार ने सरकार पर धान खरीदी से बचने का आरोप लगाया है.

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Published : Jan 7, 2021, 6:02 PM IST

Kedar Gupta targets Bhupesh government
केदार गुप्ता ने साधा निशाना

बालोद:छत्तीसगढ़ भाजपा के संगठन मंत्री और बालोद प्रभारी केदार गुप्ता ने धान खरीदी के मुद्दे पर भूपेश सरकार को चौतरफा घेरा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले जो धान खरीदी की प्रक्रिया बनी थी उसे वर्तमान की भूपेश सरकार ने पूरा ध्वस्त कर रख दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की वादाखिलाफी और धान खरीदी की व्यवस्था को लेकर आगामी 13 जनवरी को विधानसभा स्तरीय प्रदर्शन किया जाएगा. जिसकी तैयारी चल रही है.

धान खरीदी को लेकर भूपेश सरकार पर निशाना

केदार गुप्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार खुद ही धान खरीदी को प्रभावित करने में लग गई है. हालत इतने खराब है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के क्षेत्र में भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल के धान बिक्री का भुगतान अभी तक पूरा नहीं हुआ है. वर्तमान में भी किसानों के खाते में एक पैसा नहीं पहुंचा है. जबकि रमन सरकार में 3 से 4 दिन में तो कभी 24 घंटे के अंदर किसान के घर पहुंचने से पहले ही किसान के खाते में राशि पहुंच जाती थी.

सबसे बड़ा घोटाला बारदाना: केदार

केदार गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में सबसे बड़ा घोटाला यहां सरकार बारदाने के नाम पर कर रही है. सरकार बारदाने के बहाने धान खरीदी से बचना चाहती है. विधानसभा में जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि प्रदेश में इस सीजन में कुल 4 लाख 45 हजार बंडल बारदाना की जरुरत होती है, जिनमें 3 लाख 30 हजार बारदाना उपलब्ध है. साथ ही 1 लाख 15 हजार बारदाने के बंडल की जरुरत है.

पढ़ें:कवर्धा: धान बेचने के एक महीने बाद भी नहीं हुआ किसानों का भुगतान

धान खरीदी से बच रही सरकार

केदार गुप्ता का कहना है कि हालात ये हैं कि किसान खुद 30 से 40 रुपये में बारदाना खरीदने को मजबूर हैं. किसानों का धान खरीदने से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. सरकार खुद प्लास्टिक का बोरा इस्तेमाल कर रही है और किसानों को जूट का बोरा लाने कह रहे हैं.

2019 में 233 किसानों ने की आत्महत्या

केदार ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों का गिरदावरी रिपोर्ट के जरिए रकबा कम करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. इसके पीछे धान खरीदी से बचना और कम धान खरीदी की मंशा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि रकबा कम होने के कारण खुद कांग्रेस अध्यक्ष के क्षेत्र में किसान धनीराम ने आत्महत्या की. किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. प्रदेश की संवेदनहीन सरकार आत्महत्या करने वाले किसानों को मानसिक रोगी बता रही है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 233 किसान और खेतीहरो ने 2019 में आत्महत्या की है.

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