बालोद: जामड़ी पाट के बाबा बालकदास ने बालोद जिला प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ये कहा है कि "उनके धाम में भक्तों को आने से आज जिला प्रशासन द्वारा रोका गया है." बाबा बालकदास ने कहा कि "कुछ असामाजिक तत्वों के कारण प्रशासन ने ऐसा किया है. जबकि जिला प्रशासन को उचित सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराना चाहिए." सुरक्षाबलों के माध्यम से भक्तों को रोकने का आरोप उन्होंने लगाया है.
"श्री जामडी पाटेश्वर धाम में नहीं करने दिए दर्शन": जारी प्रेस नोट में बाबा ने बताया है कि "छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के प्रसिद्ध तीर्थ श्री जामडी पाटेश्वर धाम में विगत 40 वर्षों से माघी पूर्णिमा का महोत्सव मनाया जाता है. जिसमें धार्मिक आयोजन, यज्ञ, रामायण और छत्तीसगढ़ के लोक सांस्कृतिक कलाकारों की मंचिय प्रस्तुति होती है. इस वर्ष भी श्री जामडी पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी ने जिला प्रशासन को सूचित करते हुए महोत्सव का आयोजन किया. लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों के धमकी के चलते जिला प्रशासन ने हजारों की संख्या में आए हुए श्रद्धालुओं को श्री जामडी पाटेश्वर बाबा के दर्शन नहीं करने दिए."
Baba Balak Das accused Balod administration: बाबा बालकदास का बालोद प्रशासन पर आरोप, कहा "पुलिस बल लगाकर जामडी पाटेश्वर बाबा के दर्शन से रोका" - माघी पूर्णिमा का महोत्सव
magh purnima 2023 छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के जामड़ी पाट के बाबा बालकदास ने जिला प्रशासन पर उनके धाम में भक्तों को आने से रोकने का बड़ा आरोप लगाया है. प्रसिद्ध तीर्थ श्री जामडी पाटेश्वर धाम में विगत 40 वर्षों से माघी पूर्णिमा का महोत्सव मनाया जाता है. जिसमें धार्मिक आयोजन, यज्ञ, रामायण और छत्तीसगढ़ के लोक सांस्कृतिक कलाकारों की मंचिय प्रस्तुति होती है. उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बालोद प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है.
बाबा बालकदास ने जिला प्रशासन पर उठाए सवाल:बाबा ने आगे बताया कि "बहुत अधिक संख्या में पुलिस फोर्स लगाकर श्रद्धालुओं को बार-बार मन्दिर जाने से रोका गया. साथ ही संत श्री राम बालक दास के निवेदन करने पर भी किसी तरह की ढिलाई नहीं दी गई. माघी पूर्णिमा जैसे पावन पर्व पर अपने आराध्य श्री जामडी पाटेश्वर बाबा के दर्शन नहीं होने से सभी भक्तों को निराशा हुई." प्रश्न यह उठता है कि हमारे मठ मंदिर एवं देवी देवता के दर्शन हेतु क्या हमें रोका जाना चाहिए या फिर सुरक्षा प्रदान कर यात्रियों को दर्शन कराया जाना चाहिए. अब इस प्रश्न का उत्तर तो जिला प्रशासन को ही देना होगा.