बलरामपुर: सिर पर छत की जरूरत हर किसी को होती है, लेकिन ग्राम पंचायत खटवाबरदर में रहने वाले ग्रामीण अपने आशियाने के इंतजार में बैठे हुए हैं. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना बलरामपुर में दम तोड़ती नजर आ रही है. सरकार ने हर परिवार को छत देने का सपना लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी.योजना ने तो खूब वाहवाही लूटी लेकिन धरातल में इसका हाल कुछ और ही कहानी बयां करता है.
जिले के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीण के आवास निर्माण के लिए सरकार ने पैसे तो भेज दिए, लेकिन यहां ठेकेदारों ने फर्जीवाड़ा कर दस्तावेजों में घरों का निर्माण होना दिखाया और असल में घर का निर्माण अधूरा छोड़कर पैसे लेकर भाग निकले. परेशान ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से आज उनके घर का निर्माण अधूरा है. पहले ही कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जुझ रहे ग्रामीणों को अब अपने घरौंदे के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है.
दरअसल साल 2016-17 में ग्राम पंचायत के करीब 6 ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनाने की स्वीकृति मिली थी. जानकारी के मुताबिक सरपंच सचिव ने आवास निर्माण का काम ठेकेदार को सौंपा, लेकिन ठेकेदार ने अपनी मनमानी से घर बनाए बिना ही खाते में निर्माण के लिए आई राशि को निकाल लिया और सिर्फ कागजों में घरों के निर्माण को पूरा बता दिया. अधूरे घर निर्माण की वजह से इन ग्रामीणों को अब कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
ठेकेदारों ने किया फर्जीवाड़ा !
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कलेक्टर और जिला पंचायत CEO को की. ग्रामीणों की शिकायत के बाद अधिकारियों ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए. जांच टीम जब गांव पहुंची, तो वह भी हैरान रह गए. जांच करने पहुंचे अधिकारियों ने देखा की दस्तावेज में घरों का निर्माण पूरा दर्शाया गया है. कागज के मुताबिक घर निर्माण के लिए पूरे पैसे निकाल लिए गए. मौके पर जब अधिकारियों ने ग्रामीणों का घर देखा, तो घर अधूरे थे. कोई घर प्लिंथ लेवल तक बना हुआ है, तो कुछ डोर लेवल तक. अधूरा बना हुआ घर कई जगहों से टूटने भी लगा है. ग्रामीणों को घरों की स्वीकृति मिलने के बाद भी वे टूटे मकान में रहने को मजबूर हैं.