बलरामपुर में कराह पूजा के दौरान खौलते दूध से नहाने की परंपरा, दृश्य देख रोंगटे हो जाएंगे खड़े, ये आस्था है या अंधविश्वास - बलरामपुर में कराह पूजा
Karah Puja In Balrampur बलरामपुर में कराह पूजा के दौरान खौलते दूध से नहाने की परंपरा है. सालों से यादव समाज इस परम्परा का पालन करते आ रहा है. इस दृश्य को देख हर कोई आश्चर्यचकित रह जाते हैं. इसे लोग आस्था से जोड़कर देखते हैं. लेकिन ईटीवी भारत इस तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है. लेकिन सवाल उठता है कि ये आस्था है या अंधविश्वास है. bathing with boiling milk in Balrampur
बलरामपुर: देश में आस्था के कई रूप देखने को मिलते हैं. इनमें कई ऐसी परम्परा है जो लोगों को चौंका देने वाली होती है. आज हम आस्था के ऐसे ही दृश्य से आपको रू-ब-रू कराने जा रहे हैं. दरअसल बलरामपुर के रामानुजगंज क्षेत्र के विजयनगर में कराह पूजा में लोगों की काफी आस्था है. जिले के बाकी नदी के तट पर ये पूजा की जाती है. खास बात यह है कि इस पूजा के दौरान खौलते दूध से स्नान किया जाता है. ये नजारा हर किसी को हैरान करने वाला होता है. इस पूजा को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ ही पड़ोसी राज्य के लोग भी पहुंचते हैं.
कराह पूजा में खौलते दूध से होता है स्नान:रामानुजगंज क्षेत्र के ग्राम पंचायत विजयनगर में बाकी नदी के तट पर यादव समाज के लोग कराह पूजा करते हैं. यादव समाज के लोग पूरे विधि-विधान से कराह पूजा करते हैं. इस दौरान बनारस से आए हुए गोविंद भगत यादव ने खौलते हुए गर्म दूध से स्नान किया.
हमारा समाज भगवान कृष्ण को अपना पूर्वज मानते हैं. मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण मनुष्य के रूप में धरती लोक पर आए थे, इसलिए द्वापर युग से कराह पूजा होते आ रहा है. साथ ही भगवान कृष्ण भी यह पूजा करते थे.- गोविंद भगत यादव
क्यों की जाती है कराह पूजा: यादव समाज के लोगों के बीच प्राचीन समय से ऐसी मान्यता है कि कराह पूजा करने से हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ हो जाता है. वातावरण की शुद्धि के लिए यह पूजा विधि-विधान से किया जाता है. कराह पूजा से किसी तरह की अनहोनी नहीं होती है. ईटीवी भारत इस तरह के अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है
अंधविश्वास या आस्था: यह अंधविश्वास या आस्था है. इस पर लोगों के अलग अलग मत है. लेकिन हर साल कराह पूजा का आयोजन बलरामपुर अंचल में होता है. इसमें भारी संख्या में यादव समाज के लोग शामिल होते हैं. इस तरह की मान्यता का समर्थन ईटीवी भारत नहीं करता है. न ही इस तरह के मामलों को बढ़ावा देने की बात ईटीवी करता है. इस तरह का आयोजन यादव समाज का अपना आयोजन है.