सरगुजा: विश्व शौचालय दिवस 19 नवम्बर को मनाया जाता है. बीते कुछ वर्षों में भारत सरकार ने शौचालय की अनिवार्यता (Government of India made toilet mandatory) और इसकी उपयोगिता समझते हुये बड़े कार्यक्रम चलाये हैं. इनके तहत फर्स्ट फेस में ओडीएफ (ODF in first face) और अब सेकेंड फेस में ओडीएफ प्लस प्लस (ODF Plus Plus) की ओर आगे बढ़ चुका है. छत्तीसगढ़ प्रदेश में इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 32 लाख से अधिक शौचालय बना दिये गये.
कुछ जिलों में बेहतर काम हुआ तो कहीं 12 हजार के शौचालय में भी भ्रष्टाचार (corruption in toilet) हुये. प्रदेश की कुछ ग्राम पंचायतें जांच के दायरे में भी आईं लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के गृह जिले सरगुजा की स्थिति अलग है. यहां ओडीएफ के तहत बेहतर काम हुये हैं. यह जिला प्रदेश में सबसे पहले खुले में शौच मुक्त हुआ था.
अब सेकेंड फेस में यहां बेहद आकर्षक और उपयोगी सामुदायिक शौचालय ग्रामीण क्षेत्रों में बनाने का काम शुरू किया गया है. ETV भारत ने कुछ गांवों की पड़ताल की, जिसमें शौचालय हर घर में बने हुये मिले और लोग शौचालय बनाने से बेहद खुश हैं.
मेंड्रा खुर्द में भी बनाया गया सामुदायिक शौचालय
ग्राम पंचायत मेंड्रा खुर्द में भी सामुदायिक शौचालय (community toilet) बनाया गया है. इस गांव में व्यक्तिगत शौचालय की संख्या 300 (No. of Individual Toilet 300) से अधिक है. वहीं इस गांव की महिलाएं शौचालय बनाने से बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि पहले शौच के लिए जाना ही एक काम था, जिससे उनके वक्त की बर्बादी होती थी. घर में शौचालय बनने से उनका समय बचता है.
गांव के पुरुष कहते हैं कि खेत और जंगल में शौच जाने से रात के समय में दिक्कत होती थी. कुछ क्षेत्रों में भालू और अन्य जंगली जानवरों के हमले से लोग घायल हो जाते थे. कभी-कभी मौत भी हो जाती थी. अब घर में शौचालय है इसलिए कोई परेशानी नहीं है.
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स्वच्छता समिति को देखरेख की जिम्मेवारी
सरगुजा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत विभाग के अंतर्गत स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) के द्वारा 1 लाख 20 हजार 523 व्यक्तिगत शौचालय बनाये गये हैं. जबकी फेस टू में 306 सामुदायिक शौचालय (community toilet) की स्वीकृति कर दी गई है. जिसमें जिले के ग्रामीण इलाकों में 152 शौचालय बनकर तैयार हो चुके हैं. इस शौचालय के रखरखाव की जिम्मेदारी गांव की स्वच्छता समिति (sanitation committee) को दी गई है.
ग्राम पंचायत ही यह तय करेगी की शौचालय के उपयोग के लिये कितना शुल्क लिया जाना है. वहीं नेशनल हाइवे के किनारे बनाये गये सामुदायिक शौचालय में एक दुकान बनाई गई है. यह दुकान गांव के उस व्यक्ति को दी जाएगी जो इस शौचालय के रखरखाव की जिम्मेदारी उठाएगा.
प्रदेश ने जहां 65 गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया था तो वहीं 65 में से अकेले सरगुजा ने 17 गांव ओडीएफ प्लस किये हैं. सरगुजा प्रदेश का पहला जिला है, जिसने सबसे अधिक ओडीएफ प्लस गांव दिये हैं.
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राज्य को मिल चुका है दूसरे स्थान का पुरस्कार
दरअसल स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेस 2 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 08 अगस्त से 15 अगस्त 2020 तक चलाये गये गंदगी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य ने 65 गांव ओडीएफ प्लस घोषित किये थे. यह प्रदेश के लिए गौरव का विषय है कि सर्वाधिक ओडीएफ प्लस गांव घोषित करने की केटेगरी में छत्तीसगढ़ राज्य को देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था.
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने ओडीएफ की सफलता के पीछे वाटर सप्लाई को अहम बताया है. उन्होंने कहा कि बेहद उपयोगी सामुदायिक शौचालय भी बनाये जा रहे हैं. इसमें सबसे जरूरी है इन शौचालयों में पानी की उपलब्धता. जब तक शौचालय में पानी नहीं रहेगा तब तक इसका इस्तेमाल उतना बेहतर नहीं होगा. अगले चरण में हम लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर सप्लाई का काम कर रहे हैं. गांव-गांव में जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाई जा रही है. शौचालय बनाने के साथ उसकी स्वच्छता भी जरूरी है.
ये स्थिति तो सरगुजा के गांव की है. जबकी शहरी क्षेत्रों में तो अम्बिकापुर नगर निगम ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत कई कीर्तिमान अपने नाम कर रखे हैं. ये सब बिना शौचालय निर्माण के सम्भव नहीं था. शहर में व्यक्तिगत शौचालय के साथ साथ कई सामुदायिक शौचालय बने हुये हैं. यहां महिलाओं के लिये पिंक टॉयलेट और दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए भी विशेष तरह के शौचालय पहले से ही संचालित हैं.