सरगुजा:जल की शुद्धता पर काम करने वाले अम्बिकापुर के युवा साइंटिस्ट ने जल की शुद्धता के लिये यूनिक आविष्कार किया है. लाखों करोड़ों रुपये खर्च करके भी सरकार जिस जल स्त्रोत को साफ नहीं कर पाती है, इस साइंटिस्ट के फार्मूले ने वो चमत्कार कर दिखाया है. बतौर प्रयोग अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र में शुरू यह काम अब देश भर में नाम कमा रहा है.
जी20 समिट के लिए साफ किये तालाब:छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में इस तकनीक से जल को शुद्ध किया जा रहा है. इस फार्मूले की प्रामाणिकता तब और बढ़ गई, जब जी 20 समिट के लिए तालाबों की साफ सफाई का जिम्मा अम्बिकापुर के साइंटिस्ट डॉ प्रशांत शर्मा को दिया गया. डॉ प्रशांत शर्मा की टीम ने अपने फार्मूले से बनी ई बॉल से देश भर के अलग अलग राज्यों के शहरों के तालाबों को साफ किया है. कई जगहों पर तालाब की चरणबद्ध सफाई अब भी चल रही है.
देश के 6 शहरों से अधिक ने अपनाया: बायोटेक साइंटिस्ट डॉ प्रशांत ने बताया कि "मध्यप्रदेश के खजुराहों से राजस्थान के जोधपुर और जयपुर से हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु से ऐसे 5 से 6 शहर हैं, जहां जी 20 समिट के लिये तालाब और नालियों की सफाई का काम हमें दिया गया है. वहां की टीम ने संपर्क किया था और यहां से ई बॉल उनको भेजी गई. प्रारंभिक चरणों में हम लोगों ने वहां तालाबों की सफाई की है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी उन लोगों में हमें भेजा है."
World Environment Day: जहरीला पानी भी होगा साफ, सरगुजा के बैक्टीरियल ई बॉल से जगी उम्मीद
पर्यावरण मतलब जल, जंगल और जमीन. विश्व पर्यावरण दिवस पर हमने आपको जंगल को बचाने वाले गंगाराम और जमीन की शुद्धता पर काम करने वाले अम्बिकापुर नगर निगम के प्रयासों की जानकारी दी है. अब हम आपको जल की शुद्धता पर काम करने वाले साइंटिस्ट की कहानी बता रहे हैं.
क्या है ई बॉल? :शहर की नालियों, तालाबों का गंदा पानी शासन प्रशासन के लिए हमेशा से चुनौती भरा काम रहता है. नाली और तालाबों की सफाई के लिए कर्मचारियों की जरूरत तो पड़ती ही थी, इसमें लाखों के खर्च भी होते थे. कुछ महीने बाद फिर तालाबों की स्थिति खराब हो जाती थी. ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के लिए शहर के युवा वैज्ञानिक डॉ प्रशांत ने विकल्प की तलाश की. करीब 12 वर्षों की मेहनत के बाद उन्होंने एक ऐसे ई बॉल का निर्माण किया है जो गंदे पानी को उपचारित कर उसे पीने योग्य बना देता है.
ई बॉल ऐसे करता है काम:ई बॉल लाभदायक बैक्टीरिया और फंगस का कंसोटिया या मिश्रण है. इसमें मुख्य रूप से टी-64 और एलएबी-2 बैक्टीरिया का उपयोग किया गया है. यह कंसोटिया हर पीएच और 45 डिग्री तापमान पर भी सक्रिय होकर काम कर सकता है. बॉल में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के ग्रे वाटर में जाते ही वहां मौजूद ऑर्गेनिक वेस्ट से पोषण लेना चालू करके अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने लगते हैं और पानी को साफ करने का काम करते है. एक ई बाल लगभग 150 मीटर लंबी नाली के लिए प्रभावी होता है. एक बार बाल उपयोग करने के बाद 90 दिन तक प्रभावी होता है. ई बाल के उपयोग से बार बार नाली जाम और नाली से आने वाली दुर्गंध से छुटकारा मिल रहा है.
चम्बोथी तालाब में किया गया पहला प्रयोग: ई बॉल का प्रयोग अम्बिकापुर नगर निगम द्वारा शहर के बीच स्थित गंदे चम्बोथी तालाब में किया गया था. शुरुआत में जब इस तालाब में ई बॉल को डाला गया, तो यहां का पानी काफी गंदा था. लेकिन जब 15-15 दिनों के अंतराल में ई बॉल का उपयोग तालाब में किया गया, तो इसके अंदर मौजूद गंदगी साफ होने लगी. आज भले ही शैवाल और एल्गी के कारण तालाब गंदा नजर आ रहा हो, लेकिन इस तालाब के पानी की शुध्दता सप्लाई वाले पानी के स्तर पर पहुंच चुकी है. जब टीम द्वारा इसके पानी की जांच की गई, तो इसका पीएच 6.75 और टीडीएस 276 मापा गया. जबकि सामान्य रूप से भी पानी का पीएच 6-7 के बीच व टीडीएस 200 से 400 के बीच उत्तम माना जाता है.