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लॉकडाउन में देवदूत बनकर अंबिकापुर की इन महिलाओं ने घर-घर पहुंचायी स्वास्थ्य सेवाएं

women of Ambikapur delivered health services: लॉकडाउन के दौरान किसी को भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें न हो. इसके लिए अंबिकापुर में महिला स्वास्थ्यकर्मियों, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर मेडिकल सुविधाएं पहुंचाई.

women of Ambikapur delivered health services
अंबिकापुर की महिलाओं ने दी स्वास्थ्य सेवाएं

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Published : Jan 8, 2022, 3:55 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. हर कोई छोटी सी दिक्कत होने पर भी आशंकित हो जाता है कि कहीं वो भी कोरोना की गिरफ्त में तो नहीं. बीते दो सालों में देश ने लॉकडाउन देखे और इस लॉकडाउन के दौरान नॉन कोविड स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन कैसे हुआ? कैसे लोगों तक छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज और उसकी जानकारी पहुंचायी गई? अंबिकापुरर में इसकी पड़ताल जब ETV भारत ने की तो पता चला की बड़ी जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर थी. महिलाओं ने ऐसे समय में लोगों के घरों में जाकर स्वास्थ्य सेवा पहुंचायी. जब लोग अपने घर से नहीं निकलते थे. किसी से मिलना नहीं चाहते थे. बीते वर्षों में ये महिलाएं देवदूत बनकर काम करती रहीं हैं, इसलिए इनके जज्बे की कहानी हम आप तक पहुंचा रहे हैं.

लॉकडाउन में देवदूत बनी अंबिकापुर की महिला स्वास्थ्य कर्मी

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अंबिकापुर की महिला स्वास्थ्यकर्मी

हिम्मत और जज्बे के साथ ये जिम्मेदारी महिलाओं ने उठाई थी. जब लॉकडाउन था, अस्पतालों में चारों ओर कोविड ट्रीटमेंट का सेटअप हो चुका था. अस्पताल जाना भी खतरे से कम न था. ऐसे समय में अम्बिकापुर में घर-घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही थी. महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ANM), मितानिन (आशा कार्यकर्ता) और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं के इस तीन दल ने बड़ा ही साहसिक काम किया. कोरोनाकाल में ये टीम घर-घर जाकर लोगों की समस्याओं की जानकारी लेती रही. नॉन कोविड स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने में सहायता करती थी. सामान्य बीमारी जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, डिहाइड्रेशन के लिये इनके पास ही दवाइयां होती थी, जिसे डॉक्टर की सलाह पर घरों में दिया जाता था. लोगों को सामान्य बीमारियों के लिए अस्पताल न जाना पड़े, इसलिए ऐसी सुविधाएं लोगों को मुहैया करायी जा रही थी.

गर्भवतियों को बड़ी राहत

महिलाओं की ये संयुक्त टीम गर्भवतियों और प्रसूताओं की नियमित जांच करने के साथ ही उन्हें नियमित दवाइयां उपलब्ध कराती थी. जरूरी टीके घर पर ही लगाये जाते थे और प्रसव काल के नजदीक आने पर रोजाना फोन पर ये गर्भवती महिला के संपर्क में रहते थे. प्रसव कराने के लिये ये टीम ही गर्भवती महिलाओं को सुरक्षा के साथ अस्पताल लेकर आती थी. महिला का सुरक्षित प्रसव कराने के बाद नवजात शिशु की भी देखभाल इन्हीं के माध्यम से की जाती थी.

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लॉकडाउन का लोगों पर नहीं पड़ा फर्क

शायद इसलिए सरगुजा में कोरोनाकाल में भी कोई पेनिक नहीं हुआ. कोरोना के मामले खूब बढ़े, सख्त लॉकडाउन लगाया गया, लेकिन लोग आराम से अपने घरों में रह रहे थे क्योंकि महिलाओं की ये टीम घर तक नॉन कोविड स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रही थीं. प्रसव एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे ना तो रोका जा सकता था और ना ही इसे टाला जा सकता था. लिहाजा कोरोना काल में प्रसूताओं के सामने बड़ी असमंजस की स्थिति बनी थी. इन महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने इस जिम्मेदारी का बीड़ा उठाया और बेहतर परिणाम भी दिये.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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