सरगुजा: छत्तीसगढ़ की सियासत में बीते ढाई साल से सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला विषय था कांग्रेस के ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का फॉर्मूला. अक्सर ये बात विपक्ष या मीडिया के जरिए सामने आती रही कि छत्तीसगढ़ में ढाई साल में मुख्यमंत्री बदल जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिहंदेव (Health Minister TS Singh Deo) को कांग्रेस आलाकमान छत्तीसगढ़ की कमान दे सकती है. इसे लेकर अटकलें लगती रहीं. विपक्ष बयानबाजी करता रहा. सरकार के प्रवक्ता बयानों पर पलटवार करते रहे. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि उन्हें फॉर्मूले के बारे में ही जानकारी नहीं है. इन सबके बीच अंबिकापुर विधायक सिंहदेव ने कभी हंसकर जवाब दिया तो कभी हाईकमान पर छोड़ कर टाल गए. लेकिन कभी हां या ना में जवाब नहीं दिया. ETV भारत से स्वास्थ्य मंत्री ने खुल कर बात की है.
ढाई-ढाई साल को लेकर टीएस सिंहदेव का बयान सवाल: ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की हकीकत क्या है ? इन चर्चाओं पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है ?
जवाब: दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव के बाद जब मुख्यमंत्री का चयन किया जाना था. सीएम के चयन के लिए सोनिया और राहुल गांधी ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को बुलाया था. चरणदास महंत, ताम्रध्वज साहू और भूपेश बघेल जी के साथ मैं गया था. अंतत: भूपेश बघेल का नाम सीएम पद के लिए घोषित हुआ. उस दौरान मीडिया में कहीं से ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का फॉर्मूले की बात आ गई. मैंने शुरू से ये कहा है कि राजनीति में कोई लिखित एग्रीमेंट नहीं होते. ये हाईकमान परिस्थितियों के आधार पर तय करता है. कोई स्थाई फैसले नहीं होते. किसकी क्या स्थिति है, क्या योगदान है ? ये सब देखकर हाईकमान फैसला लेता है. हम लोग इसका आदर करते हैं, पालन करते हैं. अब तो ढाई साल भी पूरे हो गए. अगर एग्रीमेंट होता तो ढाई साल में सीएम चेंज हो गए होते. 17 तारीख को कांग्रेस सरकार के ढाई साल (two and a half years of congress government) पूरे हुए. बदलाव होता तो अभी तक हो गया होता. ये मानकर चलना चाहिए की जो हमारे शीर्षस्थ नेतृत्वकर्ता होता है, उन्हें परिस्थितियों के बारे में जानकारी होती है. वे अपने हिसाब से जानकारियां लेकर फैसला लेते हैं. जो फैसला होता है फिर उसी हिसाब से हमको आगे चलना होता है.
जशपुर में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने किया किडनी डायलिसिस यूनिट का शुभारंभ
सवाल: दिल्ली में हुई बैठक में जो बात हुई, वो बाहर क्यों नहीं आती ?
जवाब: बैठक की मर्यादाएं होती हैं. कई संगठन हैं और संस्थाएं हैं. आप भी एक टीवी चैनल में काम करते हैं. आपकी भी मीटिंग होती होगी, उसे सार्वजनिक नहीं किया जाता होगा. ये एक दायरे के अंदर रहेगी. ऐसा हर समूह में होता है. राजनीतिक समूह अन्य समूहों से अलग नहीं है. राजनीतिक समूहों में भी एक बाते एक दायरे के अंदर होती है. जिन्हें बताया नहीं जाता. मीडिया में प्रसारित नहीं किया जाता. जो किया जाता है वो मीडिया में भी आता है. जो मर्यादा के अंदर की बातें होती हैं. उसकी मर्यादा की रक्षा और सुरक्षा ऐसी बैठकों में शामिल होने वाले लोग रखते हैं. ये कोई कांग्रेस की बात नहीं है. हर दल में बैठकें होती हैं. आप देखें अभी सत्ताधारी दल भाजपा है. उनकी बैठकों की बात सार्वजनिक होती है क्या ? अभी यूपी के मुख्यमंत्री (UP Chief Minister) दिल्ली गए, कई लोगों से उन्होंने मुलाकात की. इनकी बातें मीडिया में आती है क्या ? तो हर समूह, हर व्यक्ति उसी मर्यादा को कायम रखते हैं. उसे ही बंद कमरे में कहिये या एक दायरे के अंदर कहिये तो बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं जो सार्वजनिक नहीं की जाती.
सवाल: 2018 के चुनाव में आपकी और भूपेश बघेल की जोड़ी सुपरहिट रही. अगला जो चुनाव होगा उसमें ये जोड़ी क्या कमाल करेगी ?
जवाब: कांग्रेस की हार या जीत किसी दो व्यक्तियों से नहीं होती. ये समूह का काम होता है. कांग्रेस एक बड़ा परिवार है. किसी भी परिवार में आप देखेंगे की अगर एक होकर परिवार लड़ता है, तो जीत मिलती है. ये केवल दो लोगों का परिवार नहीं हो सकता. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ दो लोग ही कर लेंगे तो सब कुछ हो जाएगा. ये दो लोग नहीं करेंगे तो कांग्रेस हसिये पर चली जाएगी, ऐसा नहीं होता. उस समय जो परिस्थिति बनी आप लोग जान भी रहे होंगे कि स्वर्गीय जोगी जी भी कांग्रेस में थे. उस समय कैसे हम लोगों में तालमेल का अभाव दिखता था. कैसे दिखता था कि कांग्रेस एक परिवार के रूप में नहीं है. उसके नतीजे चुनाव में दिखते थे. हमको सफलता नहीं मिल रही थी. हर पार्टी के लिए यही बात लागू होती है कि जितना एक होकर हम चुनाव लड़ेंगे उतनी सफलता के चांस ज्यादा रहते हैं. ये 2018 के चुनाव में दिखा. हम लोग सब साथ होकर लड़े, केवल दो ही लोग नहीं थे. कांग्रेस परिवार साथ आया. जो लोग सहमत नहीं थे अंततः वो अलग गए. उन्होंने अलग पार्टी बना ली. लेकिन जो थे वो सब साथ होकर लड़े. तो यही 2023 में 2028 में कांग्रेस या कोई भी पार्टी एकजुट होकर विधानसभा चुनाव (Assembly elections) लड़ेगी तो उनकी सफलता के चांसेस ज्यादा रहेंगे.