सरगुजा: शासन के नियमों के अनुसार अस्पताल में जब मरीज एडमिट होता है तो मरीज और उसके साथ एक परिजन को अस्पताल मुफ्त भोजन कराता tribes get free food at Ambikapur Medical College Hospital है. लेकिन सरगुजा के वनांचलों में रहने वाले विशेष संरक्षित जनजाती पंडो, कोरवा और पहाड़ी कोरवा बेहद पिछड़े और आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं. इलाज कराने एक मरीज के साथ 7-8 लोग तक शहर आ जाते हैं. यहां उनके सामने पेट भरने की समस्या पैदा हो जाती थी.
पहले भटकना पड़ता था:इस समस्या को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने किचन के प्रभारी, स्टाफ और भोजन कॉन्ट्रैक्टर से बात की. जिसके बाद यह तय हुआ कि विशेष संरक्षित जनजाति के मरीज के साथ जितने भी लोग आएंगे. उन्हें यहां मुफ्त में खाना खिलाया जाएगा. अब करीब डेढ़ वर्ष से यह सिलसिला चल रहा है. अब पंडो कोरवा जाति के लोगों को पेट भरने के लिये भटकना नहीं पड़ता है.
ETV भारत ने की बातचीत:ETV भारत की टीम जब अस्पताल की कैंटीन पंहुची तो वहां कुछ लोग आरक्षित कॉर्नर में बैठकर खाना खा रहे थे. इन लोगों ने बताया कि सभी पंडों जाति के हैं खाना भी बेहद स्वादिष्ट मिल रहा है. इसके लिये उनसे कोई पैसे नहीं लिये जाते हैं. ये लोग इस व्यवस्था से बेहद खुश नजर आये. क्योंकि पहले शहर में महंगा खाना खरीदना या बनाकर खाना एक बड़ी चुनौती हुआ करता था.
अंबिकापुर की 'मानवता' भर रही आदिवासियों का पेट, यहां आदिवासियों को मिलता है मुफ्त में भोजन
अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल Ambikapur Medical College Hospital में मानवता की मिसाल पेश की जा रही है. यहां नियमों से हटकर बिना शासन के सहयोग से विशेष संरक्षित जनजाति के लोगों को मुफ्त में स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन दिया जा रहा tribes get free food at Ambikapur Medical College Hospital है. अस्पताल की ही कैंटीन के बाहर के अलग कार्नर बनाया गया है, जहां पहाड़ी कोरवा, कोरवा और पंडो जनजाति के मरीज के साथ आने वाले हर व्यक्ति को मुफ्त में भोजन कराया जाता है.
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मुफ्त के साथ पोषक आहार:डाइटीशियन सुमन सिंह ने बताया कि " पंडो कोरवा जाति के मरीज के साथ बहोत अधिक लोग आ जाते हैं. पहले ये लोग खाने के लिये भटकते थे. अस्पताल प्रबंधन ने इस पर चिंता जाहिर की जिसके बाद कॉन्ट्रैक्टर ने भी सहमति दी. अस्पताल के किचन में इतना खाना रोजाना बनता है कि कुछ लोगों को मुफ्त में खिलाया जा सकता है. करीब देश साल से यह काम शुरू है. रोजाना 30 से 40 लोग खा लेते हैं. बीमारियों का सीजन जब होता है तो यह संख्या 50 से अधिक हो जाती है. इस भोजन का उद्देश्य सिर्फ मुफ्त में भोजन देना नहीं है बल्कि पोषक भोजन खिलाना भी है.
अलग से की खाने की व्यवस्था:अस्पताल में मरीज को पैक खाना बेड तक पहुंचाया जाता है. परिजन के लिये भी कैंटीन स्टाफ खाना वार्ड में पहुंचाते हैं. वार्ड में भीड़ और अव्यवस्था ना हो इसलिए कैंटीन के बाहर ही शेड लगाकर उसमें कुर्सी टेबल लगा दी गई है. यहां पंडों कोरवा जनजाति के लिए बोर्ड भी लगवा दिया गया है. अब इस बोर्ड को देखकर भी लोग यहां खाना खाने आ जाते हैं.