सरगुजा:वन परिक्षेत्र मैनपाट में हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल बुधवार रात मैनपाट वन परिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ और उससे लगे बावपहाड़ के रिहायशी इलाके में घुस गया. हाथियों ने 3 घरों को तोड़ते हुए घर में रखे अनाज को चट कर गया. गजराज रातभर जमकर उत्पात मचाते हुए रिहायशी इलाके में घूमते रहे. हाथियों के आतंक से ग्रामीणों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई. फिलहाल हाथियों के हमले में जनहानि की खबर नहीं है. ग्रामीण के घरों को तोड़ने और अनाज खाने के नुकसान का मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है. वन विभाग ग्रामीणों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.
ग्रामीणों ने आंगनबाड़ी में ली शरण
इधर, चक्रवाती तूफान यास के प्रभाव के बीच हाथियों के दल द्वारा ग्रामीणों के मकान टूटने के बाद अब ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई है. फिलहाल ग्रामीणों को गांव के आंगनबाड़ी में अस्थायी रूप से रखा गया है. वन विभाग की टीम क्षतिपूर्ति आंकलन के बाद इसका भरपाई करने की बात कह रहे हैं. हालांकि जमीनी स्तर पर वन विभाग का अमला सक्रिय नहीं है. हाथियों के दल ठीक तरीके से अपनी मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहा है. यहीं कारण है कि हाथियों के रिहायशी इलाके में आने की खबर ग्रामीणों को समय से पहले नहीं मिल रही है.
सरगुजा : पटकुरा गांव में हाथियों ने मचाया उत्पात, किसानों की फसल बर्बाद
90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरीडोर भी कहा जाता है. प्रमाण मिलते हैं कि यह इलाका सदियों से हाथियों के विचरण क्षेत्र का हिस्सा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.