BJP Made Caste Equation In Chhattisgarh: सरगुजा में भाजपा ने साधा जातिगत समीकरण, जानिए कहां किस जाति के वोटर हैं भाग्य विधाता ?
BJP Made Caste Equation In Chhattisgarh विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. सरगुजा जिले की पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा ने मजबूत होमवर्क के साथ जातिगत समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है. अब देखना ये है कि ये प्रत्याशी कांग्रेस के वर्तमान विधायकों को कितनी चुनौती दे पाते हैं. आईये जातिगत आंकड़ों में इसे समझते हैं. Chhattisgarh Assembly Election 2023
सरगुजा में भाजपा ने साधा जातिगत समीकरण
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Published : Aug 19, 2023, 11:19 PM IST
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Updated : Aug 19, 2023, 11:39 PM IST
सरगुजा में भाजपा ने साधा जातिगत समीकरण
सरगुजा : संभाग की 14 में से 5 सीटों पर भाजपा ने प्रत्यशियों के नाम का एलान कर दिया है. भाजपा की यह रणनीति स्पष्ट करती है की हर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने जातिगत समीकरण को साधने का प्रयास किया है. हर विधानसभा में उसी जाती के उम्मीदवार को उतारा गया है जिस जाती के मतदाताओँ की संख्या उस विधानसभा में सर्वाधिक हैं.
जातिगत समीकरण से प्रभावित होता है कैडर वोट:राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा की यह रणनीति कारगार साबित हो सकती है. सरगुजा की सभी विधानसभा सीट पर पूर्व में देखा गया है कि मतदाता अपने वर्ग के उम्मीदवार के तरफ जाते हैं. इसलिए राजनीतिक दल भी यहां इन्हीं में से उम्मीदवार भी उतारते रहे हैं.
अक्सर देखा गया है कि पार्टियों के कैडर वोट भी इसलिए डायवर्ट हो गए क्योंकी जातिगत उम्मीदवार किसी और पार्टी से उम्मीदवार थे. जैसे प्रेमनगर विधानसभा अनारक्षित सीट है लेकिन वहां भाजपा ने आदिवासी वर्ग के गोंड समाज से प्रत्याशी उतारा है. क्योंकी वहां गोंड मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है, वहां से विधायक खेल साय सिंह भी गोंड़ समाज से हैं. इससे पहले भी रेणुका सिंह वहां से विधायक रही हैं, जो गोंड़ समाज से ही हैं. -मनोज गुप्ता, राजनीतिक विश्लेषक
प्रेमननगर:सरगुजा में जिन सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशियों का चयन किया है, उनमें से एक प्रेमनगर में गोंड समाज की अधिकता है. यहां करीब 75 से 80 हजार मतदाता गोंड़ समाज के लोग हैं. इसलिए प्रेमनगर विधानसभा में गोंड समाज के मतदाता ही भाग्य विधाता होते हैं. पूर्व में इसी समाज के प्रत्यशियों की जीत हुई है. इस बार भाजपा ने यहां गोंड समाज से भूलन सिंह मरावी को अपना प्रत्याशी बनाया है.
प्रतापपुर:प्रतापपुर विधानसभा, जो सूरजपुर जिले में है लेकिन इसका कुछ हिस्सा बलरामपुर में भी है. यहां भी गोंड समाज के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक हैं. यहां भी करीब 65 हजार मतदाता गोंड समाज के हैं. दूसरे नम्बर पर कंवर और फिर अन्य जातियां हैं. यहां भी भाजपा ने गोंड समाज से शकुंतला पोर्ते को अपना प्रत्याशी बनाया है. यहां भी विधायक प्रेम साय सिंह गोंड समाज से हैं. यह सीट आदिवासी आरक्षित है.
भटगांव:यह विधानसभा सीट अनारक्षित है, लेकिन यहां राजवाड़े समाज के वोटरों की संख्या ज्यादा है. यहां तीन बार से पारसनाथ राजवाड़े विधायक हैं. इस विधानसभा में करीब 45 से 50 हजार वोट राजवाड़े समाज के हैं. इसके बाद अन्य जातियां शामिल हैं. इस बार भाजपा ने भी राजवाड़े मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है और लक्ष्मी राजवाड़े को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.
लुंड्रा:सरगुजा जिले की भी एक विधानसभा से भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है. इस बार यहां भाजपा ने उरांव समाज के प्रबोध मिंज को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा का क्रिश्चियन उरांव प्रत्याशी यहां से होना कांग्रेस को बड़ा डैमेज कर सकता है, क्योंकी क्रिश्चियन कांग्रेस के कैडर वोट होते हैं. लेकिन अब भाजपा यहां ज्यादा मजबूत दिख रही है. इस विधानसभा में सर्वाधिक मतदाता उरांव समाज से हैं. यहां करीब 80 हजार से अधिक मतदाता उरांव समाज के हैं. यहां विधायक डॉ प्रीतम राम भी उरांव समाज से हैं.
रामानुजगंज:रामानुजगंज विधानसभा में सर्वाधिक संख्या खैरवार समाज की है और दूसरे नंबर पर गोंड मतदाता हैं. लेकिन यहां से भाजपा ने खैरवार नहीं बल्कि गोंड समाज के प्रत्याशी को मौका दिया है. इसके पीछे वजह ये है कि यहां के प्रत्याशी राम विचार नेताम पूर्व मंत्री व राज्य सभा सांसद रह चुके हैं. क्षेत्र के कद्दावर नेता है और उनकी पकड़ सभी वर्ग के मतदाताओं में है. वर्तमान में यहां से बृहस्पति सिंह विधायक हैं, जो खैरवार समाज से आते हैं.
जानिए छत्तीसगढ़ में इन विधानसभा सीटों पर कब-कब कौन रहा विधायक
1998 विधानसभा चुनाव:
लुंड्रा- रामदेव राम (कांग्रेस)
पिल्खा (अब का प्रतापपुर)- प्रेम साय सिंह (कांग्रेस)
पाल (अब का रामानुजगंज)- रामविचार नेताम (भाजपा)
सूरजपुर (अब का भटगांव)- भानू प्रताप (कांग्रेस)
प्रेमनगर- तुलेश्वर सिंह (कांग्रेस)
छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आने के बाद 2023 में हुआ पहला चुनाव:1998 विधानसभा चुनाव के बाद 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का बहुमत था और अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया गया. 3 वर्ष के शासन के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए 2003 में चुनाव हुए.
2003 विधानसभा चुनाव:
लुंड्रा- विजयनाथ सिंह (भाजपा)
पिल्खा- रामसेवक पैकरा (भाजपा)
पाल- रामविचार नेताम (भाजपा)
सूरजपुर- शिव प्रताप सिंह (भाजपा)
प्रेमनगर- रेणुका सिंह (भाजपा)
2003 में कांग्रेस के हाथ से गई सत्ता:कांग्रेस के हाथ से छत्तीसगढ़ की सत्ता 2003 में चली गई और ऐसी गई कि 15 वर्षों का वनवास हो गया. 2003, 2008 और 20013 तीनों चुनाव भाजपा ने जीते. सत्ता के गलियारों के सरगुजा का विशेष योगदान रहा है. सरगुजा ने जिसे बढ़त दी, एकतरफा दी और सत्ता भी उसे ही मिली. इस दौरान जशपुर से एक सीट कम हुई और तपकरा विधानसभा सरगुजा से अलग कर दी गई. जशपुर की ही बगीचा विधानसभा के स्थान पर कुनकुरी विधानसभा शामिल हुई. इधर सूरजपुर, पाल और पिल्खा को विलोपित कर भटगांव और प्रतापपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. कोरिया में बैकुंठपुर मनेन्द्रगढ़ के साथ भरतपुर-सोनहत सीट और सरगुजा में एक सीट रामानुजगंज के रूप में अस्तित्व में आया.
2008 विधानसभा चुनाव:
लुंड्रा- रामदेव राम (कांग्रेस)
प्रतापपुर- प्रेम साय सिंह (कांग्रेस)
रामानुजगंज- रामविचार नेताम (भाजपा)
प्रेमनगर- रेणुका सिंह (भाजपा)
भटगांव- रविशंकर त्रिपाठी (भाजपा)
2013 विधानसभा चुनाव:
लुंड्रा- चिंतामणि सिंह (कांग्रेस)
प्रतापपुर- रामसेवक पैकरा (भाजपा)
रामानुजगंज- बृहस्पति सिंह (कांग्रेस)
प्रेमनगर- खेल साय सिंह (कांग्रेस)
भटगांव- पारस नाथ राजवाड़े (कांग्रेस)
2018 में समाप्त हुआ कांग्रेस का वनवास:2003 के बाद कांग्रेस का वनवास 2018 में आकर समाप्त हुआ. 2018 में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की सरगुजा की 14 में से 14 सीट पर कांग्रेस के विधायक बड़े अंतर से जीतकर आए और प्रदेश में कंग्रेस की सरकार बनी.