15 साल बाद बस चाहे जिस भी कंडीशन में हो वो अपने रजिस्ट्रेशन के 15 साल बाद महज कबाड़ में बेचने लायक होगी. सरकार ने यह नियम कबाड़ वाहनों से होने वाले पर्यावरण को नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर बनाया है, जिसने बस और ट्रक मालिकों की तकलीफों को बढ़ा दिया है.
VIDEO: सरगुजा बस चालकों का नए ट्रांसपोर्ट नियमों पर रिएक्शन
क्या कहते हैं बस मालिक
बस मालिकों का कहना है कि अगर हम अपनी बस में हर 5 साल में पूरा समान नया लगवा देते हैं तो वो बस फिट होती हैं, लेकिन इस नियम के बाद बस मालिकों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा. कबाड़ बसों का परमिट या फिटनेस न किया जाना उचित है पर फिट और अच्छी बसें भी कबाड़ की श्रेणी में आएंगी.
परिवहन अधिकारी बताते हैं कि ये नियम आया था, जिसके बाद बस ट्रक एसोसिएशन के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्टे ले लिया है. स्टे भी इस बात का है कि 15 साल के बाद फिट वाहनों को फिटनेस देना है, पर 15 साल बाद बस को परमिट अभी भी नहीं दिया जा रहा है, लिहाजा बिना परमिट की बस रख सकते हैं.
बस मालिक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे
बहरहाल सरकार का फरमान और सुप्रीम कोर्ट का स्टे इस समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि कोर्ट के स्टे के बाद फिटनेस मिलेगा पर परमिट नहीं और बिना परमिट के बसें चलाई नहीं जा सकतीं, लिहाजा बस मालिक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.