सरगुजा: स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में नंबर दो का खिताब हासिल करने वाले नगर निगम अंबिकापुर को एक बार फिर कचरा मुक्त स्टार रेटिंग में फाइव स्टार मिला है. महिला समूहों के साथ साफ-सफाई के क्षेत्र में शुरू किया गया प्रयास इतनी ऊंचाइयों को छुएगा, किसी ने नहीं सोचा था. यह स्वच्छता दीदियों की मेहनत ही है, जिसने अंबिकापुर शहर को अगल मुकाम पर लाकर खड़ा किया है. आज अंबिकापुर सफाई के मामले में देश में झंडे गाड़ रहा है. इसके पीछे स्वच्छता दीदियां ही हैं, जिन्होंने ना दिन देखा ना रात, ना धूप देखी ना बरसात, बस अपना कर्तव्य निभाती रहीं. स्वच्छता दीदियां कहती हैं कि इन उपलब्धियों को सुनकर दिल खुश हो जाता कि हमारी मेहनत रंग ला रही है.
अंबिकापुर नगर निगम ने साल 2015 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और उसके प्रबंधन की शुरुआत की थी. शुरुआत में यह काम बहुत छोटे स्तर पर शुरू किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह वृहद रूप ले चुका है. अंबिकापुर नगर निगम के 48 वार्डों में महिला समूह की 470 महिलाएं डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करती हैं. यह महिलाएं शहर के करीब 24 हजार मकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से कचरा कलेक्शन करती हैं.
महिलाओं के पास 34 ई-रिक्शा और 100 मैनुअल हाथचलित रिक्शा सहित 20 से अधिक ऑटो टिप्पर उपलब्ध हैं. जिसके सहारे कचरे को SLRM (Solid and Liquid resource Management) सेंटर तक लाया जाता है. वहीं बड़े व्यावसायिक संस्थानों के अधिक कचरे को SLRM सेंटर तक लाने के लिए ऑटो टिप्पर की व्यवस्था की गई है.
महिलाओं को प्रतिमाह मिलता है वेतन
शहर से इकट्ठा होने वाले इस कचरे के प्रबंधन के लिए कुल 18 केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 17 केंद्रों में कचरे को अलग-अलग छांटा जाता है. वहीं एक एक केंद्र में एग्रीगेशन का काम किया जाता है. कचरा प्रबंधन के इस कार्य में लगी महिलाओं को प्रतिमाह 7 हजार रुपए वेतन के रूप में दिया जाता है. अंबिकापुर शहर में 50 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन निकलता है. औसतन देखा जाए, तो 1500 मीट्रिक टन कचरा एक महीने और 18 हजार मीट्रिक टन कचरा एक साल में अंबिकापुर के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से निकलता है.
देश में मिली अलग पहचान