सरगुज़ा: संभाग मुख्यालय अंबिकापुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर उदयपुर में मौजूद है रामगढ़ पर्वत. इस पर्वत को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं. स्थानीय लोग भगवान राम के वनवास के समय राम लक्ष्मण और सीता के सरगुज़ा आगमन से इसे जोड़ते हैं.
भगवान राम ने किया था विश्राम
ऐसी मान्यता है कि, वनवास के दौरान रामगढ़ में भगवान राम ने विश्राम किया था, इसके बाद कुछ और कहानियां प्रचलित हैं उनके मुताबिक महा कवि कालीदास ने मेघदूतम की रचना इसी पर्वत पर की थी. इसके साथ ही यहां बनी नाट्यशाला को भगवान राम द्वारा निर्मित नाट्यशाला माना जाता है और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को इसी नाट्यशाला से प्रेरित बताया जाता है.
आम मान्यता और इतिहासविद के विचारों में अंतर
बहरहाल इतिहास विद और आम मान्यताओं में अंतर है. लोगों के अलग- अलग मत हैं, लेकिन एक बात है जो सामान्य है कि ये जगह पौराणिक महत्व की है और इसका संरक्षण और संवर्धन जरूरी है.
अद्भुत है यहां मौजूद नाट्यशाला
ETV भारत की टीम ने रामगढ़ की मान्यताओं और विशेषताओं को करीब से देखा है. इस दौरान हमारी टीम को जो पुरातात्विक अवशेष दिखे है, वो अद्भुत हैं. सदियों पहले नाट्यशाला का निर्माण होना नाट्य की परिकल्पना अपने आप मे अद्भुत है.
विशेषज्ञों की है अलग राय
पर्वत को काटकर इस तरह का आकार देना सहज काम नहीं है, लेकिन यहां पर इसके सबूत मिलते हैं. सरगुजा के इतिहास पर अध्ययन करने कराने वाले विशेषज्ञ इस आमराय से इत्तेफाक नहीं रखते. वो कहते हैं कि 'ये अवशेष बौद्ध काल के हैं और नाट्यशाला को देखकर यह कहा जा सकता है कि, इसे देखकर नाट्यशास्त्र लिखा गया या नाट्यशास्त्र से ये नाट्यशाला बनाई गई'.
पर्यटन के क्षेत्र में काम करने की जरूरत
बहरहाल इस विषय पर गहन शोध और परीक्षण करने वाले पुरोधा भी रामगढ़ की मान्यताओं पर शंशय में हैं. अब राम यहां रुके हों या न रुके हों. कालिदास ने यहां मेघदूतम लिखा हो या नहीं पर यह जगह अपने आप मे पौराणिकता का प्रमाण है और इसके संरक्षण संवर्धन और पर्यटन के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है.