सरगुजा:आपने हमेशा पानी को ढलान की ओर बहते देखा होगा, लेकिन सरगुजा में एक ऐसी जगह है. जहां कुदरत का एक ऐसा करिश्मा होता है, जिसे देख आप हैरान रह जाएंगे. यहां की घटनाएं प्रकृति के नियमों को भी चुनौती देती हैं. विश्व पर्यटन दिवस पर ETV भारत आपको प्रकृति के इस अनोखे उपहार के बारे में बता रहा है. हम बात कर रहे हैं कि मैनपाट के बिसरपानी गांव की. जहां पानी की एक धार ढलान की ओर ना जाकर इसकी उल्टी दिशा में बहता है. इस गांव में आश्चर्यों की कमी नहीं है. ऐसा ही एक अजूबा है, मैनपाट में, जिसे उल्टा पानी के नाम से जानते हैं. पानी के उल्टे बहाव के कारण इसका नाम उल्टा पानी पड़ गया. इस अजूबे को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं.
मैनपाट को प्रकृति का अनोखा उपहार इस जगह पर पहुंचने के बाद आप देख सकते हैं की जमीन में जिस ओर ऊंचाई ज्यादा है, पानी उसी दिशा में बहता है. इसे जांचने के लिए जब ETV भारत की टीम ने कागज की नाव बनाकर पानी में बहाया, तो नाव भी ऊंचाइयों की और जाने लगी, जो बेहद चौकाने वाला था.
ऊंचाइयों की तरफ लुढ़कती हैं गाड़ियां !
हैरत की बात है कि यहां गाड़ियां भी ढलान की ओर ना जाकर ऊंचाई की ओर जाती है. अगर आप गाड़ी को न्यूट्रल मोड में डालकर खड़ा करेंगे, तो आप खुद ही हैरान रह जाएंगे. हो सकता है कि आप को अपनी आंखों पर भरोसा ना हो. लेकिन यही सच है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के साथ ही यहां दूसरे राज्यों और विदेशों से भी लोग इसे अजूबे को देखने आते हैं.
उल्टा पानी, जिसका पानी ऊंचाइयों में बहता है. क्या है वैज्ञानिक कारण ?
हालांकि इस जमीन को मैग्नेटिक फील्ड माना जाता है. जानकारों की मानें तो पानी का उल्टा बहना और गाड़ियों का ऊंचाईयों की ओर बढ़ना मैग्नेटिक इफैक्ट के कारण हो सकता है. लेकिन शोध के अभाव में इसकी भी पुष्टि नहीं हो पाई है. लेकिन ETV भारत ने मामले की पड़ताल की और भूगोल के प्राध्यापक से जाना की आखिर साइंस क्या कहता है. उल्टा पानी को लेकर एक्सपर्ट की भी दो राय है. हालांकि ज्यादा बल ऑप्टिकल इल्यूजन पर ही दिया जा रहा है. और दूसरा मत मैग्नेटिक फील्ड भी है.
ऑप्टिकल इल्यूजन भी हो सकता है कारण
भूगोल के जानकार प्रोफेसर अनिल सिंह बताते हैं की मैनपाट ज्वालामुखी से निर्मित पहाड़ है. इसलिए संभावना है की यह मैग्नेटिक फील्ड हो सकता है, पानी की विपरीत दिशा में अधिक चुम्बकीय बल होने से गरुत्वाकर्षण बल के विपरीत गति हो सकती है. लेकिन इस फील्ड को देखने के बाद यह ऑप्टिकल इल्यूजन अधिक दिखता है. ऐसी स्थिति में होता यह है की आंखों से हमे जो जमीन चढ़ान की ओर दिखती है असल में वो ढलान होती है. क्योंकि जमीन का छोटा सा हिस्सा ऐसा दिखता है जैसे वहां ऊंचाई है और पानी या गाड़ियां ऊंचाई की ओर जाती हैं, लेकिन क्षितिज से जब उस जमीन को नापा जाता है, तो हम पाते हैं की असल मे पानी चढ़ाई में नहीं, बल्कि ढलान में ही जाता है. लेकिन फील्ड की बनावट की वजह से हमे आंखों का धोखा होता है.
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बहरहाल यह मैग्नेटिक फील्ड है या फिर आप्टिकल इल्यूजन ये दोनों ही शोध का विषय हैं. फिलहाल तो यह सैलानियों के मनोरंजन का कारण बना हुआ है और दूर-दूर से लोग इस अद्भुत धरती को देखने यहां आते हैं. लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते सुविधाओं का अभाव है. संस्कृति विभाग इस पर खास ध्यान नहीं दे रही है. छत्तीसगढ़ का ये शिमला और भी खूबसूरत हो सकता है बस जरूरत है तो प्रशासन को इस पर ध्यान देने की.