छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

मिसाल: मिट्टी के खिलौने बनाते-बनाते मशहूर हो गई ये कलाकार, अटलजी ने भी दिया था पुरस्कार - सरगुजा

इस महिला दिवस पर हम महिलाओं के सफर और उनकी सफलता को सेलीब्रेट कर रहे हैं, तो आइए इस खास मौके पर हम कला के क्षेत्र में मशहूर सुंदरी बाई के घर से लेकर विदेश के सफर तक की कहनी आप तक पहुंचा रहे हैं.

सुंदरी बाई
सुंदरी बाई

By

Published : Mar 1, 2020, 7:09 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: सुंदरी बाई, ऐसा लगता है मां सरस्वती ने इनके नाम का हुनर इनके हाथों में डाल दिया. इन्होंने मिट्टी पर अपने हाथों से ऐसा जादू फेरा कि इस जादू को देखने वालों की होड़ लग गई. न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देश भित्ति चित्र बनाने वाली इस कलाकार के कायल हैं.

सरगुजा की सुंदरी बाई

उम्र के साथ गहराता गया हुनर

वूमन्स डे पर ETV भारत महिलाओं के सशक्तिकरण और उत्थान से जुड़ी कई कहानियां आप तक पहुंचा रहा है. ऐसी ही एक कहानी सरगुजा की सुंदरी बाई की है, जिन्होंने अपने हुनर के दम पर पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र बनी रही. सुंदरी भित्ति चित्र का हुनर बचपन से था, जो बढ़ती उम्र के साथ और भी गहराता गया. मिट्टी, गोबर, चूना और रंगों का अद्भुत मिश्रण जब सुंदरी बाई के हाथों से गढ़ा जाता है, तो किसी चमत्कार से कम नहीं दिखता. अपने घर को भी उन्होंने अपनी कला से सजोकर रखा है कि एक बार को निगाहें नहीं हटती.

भित्ति कला

शिखर सम्मान से पुरस्कृत

सुंदरी बाई 1989-90 में चर्चा में आई जब मध्य प्रदेश सरकार ने अद्भुत शिल्प कौशल के लिए उन्हें शिखर सम्मान से पुरस्कृत किया गया. सुंदरी बाई के कला को पहली बार कांग्रेस सरकार ने नवाजा. इसके बाद वे लगातार अपनी कला के दम पर पूरे प्रदेश में छा गईं.

सुंदरी बाई को मिला सम्मान

कई देशों में गईं, कई पुरस्कार मिले

  • साल 2003 में वे पहली बार विदेश गई. उन्होंने इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर में अपनी कला का प्रदर्शन किया.
  • 2005 में जापान, 2007 में फ्रांस जा कर कला का प्रदर्शन किया.
  • साल 2010 में पेरिस में भारतीय आदिवासी-लोक कला की एक विशाल प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें सुंदरी बाई की बनाई कलाकृतियां प्रदर्शित थीं. वहां भी उन्होंने अपनी कला का जीवंत प्रदर्शन भी किया.
  • भोपाल स्थित राष्ट्रीय मानव संग्रहालय एवं जनजातीय संग्रहालय और दिल्ली स्थित संस्कृति संग्रहालय में सुंदरी बाई की बनाई कलाकृतियां प्रदर्शित हैं. सुंदरी बाई का जब बहुत नाम हो गया और उन्हें अनेक शहरों में अपनी कला के प्रदर्शन के लिये बुलाया जाने लगा.
  • 2010 में भारत सरकार और फिर केरल सरकार द्वारा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
  • वहीं तत्कालीन रमन सरकार ने सुंदरी बाई के लिए 5 हजार रुपये प्रतिमाह की व्यवस्था कर रखी है.

कला बन गई पहचान

सुंदरी बाई ने अपने घर को भी अपनी कला से सजा रखा है. बचपन में ही मिट्टी से खिलौने बनाने वाली सुंदरी बाई को भी नहीं पता था, यही कला उनकी पहचान बन जाएगी.

भित्ति कला

11 साल की उम्र में सुंदरी का विवाह

सुंदरी बाई का मायका सरगुजा जिले के पुरा गांव में है. लगभग 65 साल की सुंदरी बाई की माता डोली बाई और उनके पिता सुखदेव रजवार गरीब किसान थे. 11 साल की उम्र में सुंदरी बाई का विवाह ग्राम सिरकोतंगा में रहने वाले राम रजवार से हो गया था, तब से सुंदरी बाई भित्ति चित्र को लोगों तक पहुंचा रही हैं.

सुंदरी बाई और परिवार

कला का सही मूल्य नहीं मिल रहा

इनकी कला को चाहने वालों की संख्या लगातार इजाफा हो रहा है. भित्ति कला की मांग न सिर्फ देशभर से बल्कि विदेशों से भी आने लगी है. लेकिन इस अनमोल कला का उचित मूल्य शायद सुंदरी बाई तक नहीं पहुंच पाता, तभी आज भी वे टूटे-फूटे कच्चे के मकान में रहने को विवश हैं. काश हम अपने कलाकारों का उचित सम्मान कर पाते.

भित्ति कला
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details