सरगुजा:देश में कुछ ऐसी जातियां हैं जिन्हें विशेष संरक्षित जनजाति होने का दर्जा मिला हुआ है. इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिये आरक्षण भी विशेष हैं. छत्तीसगढ़ में ऐसी 7 जातियां हैं जो विशेष पिछड़ी जातियों में शामिल हैं. प्रदेश सरकार ने इन जातियों के आरक्षण के अनुसार नौकरी देने का काम शुरू किया है. घनघोर जंगलों में वनवासी का जीवन जीने वाले इन जातियों के लोग इस पहल से अब समाज की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने विशेष जनजाति के 9623 लोगों को सरकारी नौकरी के लिए चिन्हांकित किया है. सरगुजा जिले में 37 लोगों को नौकरी दी गई है.
पारंपरिक जीवनशैली से निकलकर अब नौकरी कर रहे पंडो:कलेक्ट्रेट कार्यालय में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ अमरनाथ पंडों कहते हैं " मैं ग्रेजुएशन कंप्लीट कर चुका हूं और आगे की तैयारी कर रहा हूं. पहले खेती किसानी से परिवार का गुजारा होता था. अब सरकारी नौकरी मिलने के बाद सैलरी मिल रही है तो जीवन में बदलाव आया है. घर अच्छे से चल रहा है. समाज में भी लोग इस पहल से खुश हैं. अब सभी चाहते हैं कि समाज के और लोगों की भी नौकरी लगे."
2012 से नहीं मिल रही थी नौकरी:विशेष पिछड़ी जनजाति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडों बताते हैं " 2012 के बाद से ही विशेष पिछड़ी जनजाति को आरक्षण के साथ जो सीधी भर्ती थी वो बंद हो गया था. जब 2018-19 में हमारा संगठन बना तो हम सात विशेष पिछड़ी जाति के लोग राज्यपाल के पास गये. उन्हें बताया कि हमें आरक्षण नहीं मिल रहा है. इसके बाद मुख्यमंत्री से भी मिले. मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया और राज्यपाल ने भी कहा. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जितना भी बैकलॉग जो खाली था. उसमे जल्दी से सर्वे कराकर रिक्त पदों में भर्ती किया जाये."