सरगुजा: दीपावली में पटाखों की ध्वनि की तीव्रता और उससे सतर्कता पर हमने डक्टरों से बात की है. नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया है कि पटाखों को लेकर सावधानी बरतें, कहीं ऐसा ना हो कि रोशनी का त्योहार आपके श्रवण क्षमता में हमेशा के लिए अंधकार पैदा कर दे.
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किस तरह की आवाज वाले पटाखे खतरनाक:ध्वनि की तीव्रता की माप डेसिबल से की जाती है. आमतौर पर 50 से लेकर 75 डेसीबल तक की ध्वनि क्षमता कानों में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न नहीं करता. सामान्य बातचीत 50 डेसीबल तीव्रता की और 75 डेसिबल की तीव्रता कुत्तों के भौंकने में पाई गई है. पटाखों को फोड़ने से उत्पन्न ध्वनि 125 डेसीबल से लेकर 200 डेसीबल तक हो सकती है.ओसा (occupational and safe health administrator ) और पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम अधिनियम के तहत 85 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि का उपयोग 4 घंटे तक करने और 100 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि एक घंटा तक उपयोग करने से कान की सुनने की क्षमता स्थाई रूप से कम हो जाती है. 135 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि का उपयोग होने से तत्काल में सुनने की क्षमता समाप्त हो सकती है. इसमें सुनने की नस काम करना बंद कर देती है अर्थात नस लकवाग्रस्त हो जाती है. 140 डेसिबल की तेज ध्वनि के पटाखे के पास में फटने पर कान का पर्दा फट सकता है. कान से खून आ सकता है.
पटाखों की ध्वनि से नुकसान के लक्षण
1. कान का भारी लगना
2. कान से कम सुनाई देना