सरगुजा:अंबिकापुर मॉडल की तर्ज पर ग्राम पंचायत उदयपुर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र की स्थापना की गई है. इसका संचालन ग्राम पंचायत के माध्यम से चांद महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है. समूह की 10 महिलाओं के द्वारा 300 घरों और दुकानों से कचरा 4 साइकिल रिक्शा के माध्यम से एकत्रित कर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र में लाया जाता है, जहां स्वच्छता दीदियां मिलकर 8 से 10 प्रकार के कचरे को अलग करती हैं. कांच की बोतलों, पानी बॉटल, साधारण पन्नी, गुटखा पाउच, लेस इत्यादि फास्ट फूड की पन्नी, पुट्ठे, कागज, लोहा, टायर ट्यूब, पेन एवं घरों के टूटे-फूटे सामान को अलग-अलग किया जाता है. वर्मी कम्पोष्ट खाद बनाने के लिए चार टैंक बनाए गए है.
उदयपुर ग्राम पंचायत का सॉलिड लिक्विड एन्ड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर बाउंड्री वॉल के बगल में लगे पेड़-पौधे, फूलों के पौधे इसकी खूबसूरती बढ़ा रहे हैं. लोगों को जागरूक करने दीवारों पर पेंटिंग व नारा लेखन स्वच्छता के प्रति जागरूकता को प्रदर्शित करता है.
अंबिकापुर नगर निगम से मिली प्रेरणा
उदयपुर ग्राम पंचायत का सॉलिड लिक्विड एन्ड वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर अंबिकापुर नगर निगम के स्वच्छता में प्रथम आने के बाद ग्राम पंचायत उदयपुर के प्रतिनिधियों ने उदयपुर से निकलने वाले कचरे को इकट्ठा कर शहर को स्वच्छ बनाने की ठानी. इसमे सरपंच व उपसरपंच ने अधिकारियों से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र निर्माण की चर्चा की जिसके बाद सर्वसम्मति से इसके निर्माण का निर्णय लिया गया. जिसके बाद एस्टीमेट के आधार पर प्रबंधन केंद्र का निर्माण कराया गया. इस एस्टीमेट में कई चीजें शामिल नहीं थी, उन्हें अलग से पंचायत मद से निर्मित कराया गया. इनमें स्वच्छता दीदियों के उपयोग हेतु शौचालय निर्माण, इनके विश्राम हेतु कार्यालय निर्माण, गर्मी से बचने के लिए पंखों की व्यवस्था, प्रबंधन केंद्र के सामने बाउंड्री का निर्माणकर गार्डनिंग का कार्य भी कराया गया है. अगस्त महीने से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र के इस नए भवन में कचरा संग्रहण से संबंधित सारी प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी हैं.
कचरे से हो रही स्वच्छता दीदियों की आय पढ़ें:SPECIAL: खिलाड़ियों को ओवर ऐज की सता रही चिंता, सरकार से की गुजारिश
यूजर चार्ज से हो रही आय
कचरे को अलग करती स्वच्छता दीदियां ग्राम पंचायत द्वारा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व घरों में वितरित किए गए 300 डस्टबिन के माध्यम से व्यवसायियों व मकान मालिकों से यूजर चार्ज लिए जा रहे है. एक डस्टबिन का एक सौ से डेढ़ सौ रुपए साइज के हिसाब से यूजर्स चार्ज रखा गया है. कबाड़ को बेचने से भी आय मिल रही है जिससे स्वच्छता दीदियों को काफी मदद मिल रही हैं. भविष्य में 100 प्रतिशत घरों में डस्टबिन रखवाकर कचरा संग्रहण और गीला व तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य भी किया जाएगा.
सेगरीगेशन सेंटर में स्वच्छता दीदियों के लिए भी सुविधाएं
8 से 10 तरह का कचरा किया जाता है अलग ETV भारत से उपसरपंच शेखर सिंह देव ने बताया कि शासन की ओर से सेगरीगेशन सेंटर स्वीकृत था, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर इसे और विस्तारित किया गया है. समूह की महिलाओं को ग्राम पंचायत की ओर से 4 साइकिल रिक्शा, दो-दो सेट ड्रेस, मास्क, जूता, व्हिसिल, कुर्सी, टेबल, अलमारी, पंजा, फावड़ा, बेलचा, बड़ा टब, इलेक्ट्रॉनिक कांटा, 100 किलो तोल उपलब्ध कराया गया है. भविष्य में 100 प्रतिशत घरों में डस्टबिन रखवाकर कचरा संग्रहण तथा गीला व तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य भी किया जाएगा.
पढ़ें:अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस: जीवन के अंतिम दिनों में परिवार से अलग वृद्धाश्रम में रहने वालों की कहानी
'उत्कृष्ट सेगरीगेसन शेड के लिए प्रस्तावित'
जिला पंचायत CEO कुलदीप शर्मा ने बताया कि राज्य स्तरीय स्वच्छता पुरस्कार 2020 के लिए उत्कृष्ट सेगरीगेसन शेड के लिए प्रस्तावित है. डोर टू डोर कचरा संकलन में सराहनीय कार्य हो रहा है. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के अलावा घरों से यूजर्स चार्ज लिया जा रहा है, लोग स्वेच्छा से भी दे रहे है यह अपने आप में उदाहरण है. आने वाले समय में स्वच्छता की दुकान का संचालन किया जाएगा इसमें सेनेटरी पैड सहित अन्य जरूरी चीजें रखी जाएगी, इससे भी इन्हें आय होगी. जिला ही नहीं प्रदेश के लिए मॉडल सेगरीगेसन सेंटर होगा. तरल अपशिष्ट प्रबंधन, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन इत्यादि विषयों पर आगे काम किया जाएगा.