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छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षकों की पदोन्नति पर बवाल, क्या है प्रमोशन के नियम ? - Teachers Federation District Manoj Tiwari

ruckus over promotion of government teachers in chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षकों की प्रमोशन पर बवाल मचा हुआ है. स्थिति यह बन गई है कि अब शिक्षक हित को लेकर आवाज मुखर करने वाले संगठन एक दूसरे के खिलाफ हो गए हैं. पढ़िए पूरी खबरें...

सरकारी शिक्षकों की पदोन्नति पर बवाल
सरकारी शिक्षकों की पदोन्नति पर बवाल

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Published : Nov 5, 2022, 9:50 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा :प्रदेश सरकार ने सहायक शिक्षक वर्ग की पदोन्नति करने के आदेश दिए हैं. शिक्षा विभाग को शिक्षा विभाग के नियमों के तहत यह पदोन्नति की जानी थी. कुछ जिलों में जिला शिक्षा अधिकारियों ने प्रमोशन कर भी दिया है. लेकिन कुछ जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई. पदोन्नति को कलेक्टरों द्वारा निरस्त कर दिया गया. इन जिलों में काउंसलिंग के जरिये पदोन्नति और पदस्थापना किये जा रहे हैं. सरगुजा जिले में भी पदोन्नति की गई है और शिक्षक संघ इस बात से डरे हुए है कि कहीं यहां भी पदोन्नति निरस्त ना हो जाए. ruckus over promotion of government teachers in chhattisgarh



प्रदेश भर में बवाल :पदोन्नति करने के बाद निरस्त करना और फिर काउंसलिंग कराने को लेकर प्रदेश भर से अलग-अलग तरह के मामले सामने आते रहे है. कहीं सीधी पदोन्नति में भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी के आरोप हैं तो कहीं काउंसलिंग में ही नियम विरुद्ध कार्य करने के आरोप हैं. जबकि शिक्षकों के हेड मास्टर के पद पर पदोन्नति के नियम में काउंसलिंग का जिक्र ही नहीं है. इन सबके बीच हम आप को बताने जा रहे हैं कि आखिर नियम और अधिकार क्या कहते हैं. सरगुजा में शिक्षकों के संघ क्या चाहते हैं.

छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षकों की पदोन्नति पर बवाल





शिक्षक संघ पदोन्नति से खुश:शिक्षक महासंघ के जिला अध्यक्ष मनोज तिवारी (Teachers Federation District President Manoj Tiwari) कहते हैं कि "सरगुजा जिले में आज तक सूची जारी नही हुई है. दो ब्लाक की सूची जारी हुई है. ऐसी सूची की सारे को संतुष्ट किया गया है. अच्छी पदोन्नति इसको माना जायेगा. डीईओ साहब ने बहोत अच्छा काम किया है. इसके लिये हम लोग डीईओ साहब में मीठा भी खिलाने गये थे. पता नही लोग क्यों काउंसलिंग की जिद कर रहे हैं. अगर काउंसलिंग हुआ तो जो दबंग लोग है शहर में आएंगे और गरीब और जिनकी पकड़ नही है वो शहर से बाहर जाएंगे. आज ही हम लोग आदिवासी आयोग के अध्यक्ष को अपनी शिकायत दिए हैं. कल हम लोग कलेक्टर साहब के बंगले में गये थे लेकिन उनसे मुलाकात नही हुई. वो बोले डीईओ से मिलने को हम लोगो ने डीईओ साहब से सारी बात बताई है. सोमवार को कलेक्टर महोदय से भी अपनी व्यथा सुनाएंगे"

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डीईओ को है समस्त अधिकार:पदोन्नति के नियमों और काउंसलिंग के परिणामों पर अधिवक्ता दिनेश सोनी कहते हैं " पदोन्नति का नियम शिक्षा विभाग का है तो जिले का मुखिया जिला शिक्षा अधिकारी होता है. पदोन्नति करने में डीईओ का ही आदेश होता है. कलेक्टर का यहां कोई रोल नहीं होता है. लेकिन यहां पर आ जाती है राजनीति. जहां पर मन पसंद लोगों की सीटें नही मिलती है वहां राजनीति घुस कर पदोन्नति पर ग्रहण लगा देती हैं."




एक जिले में दो नियम से काउंसलिंग:दिनेश सोनी बताते हैं "आप देखेंगे कि अगर डीईओ पदोन्नति का आदेश कर रहा है तो उसे निरस्त कर रहे हैं. बलरामपुर जिले में ही देख लीजिए एक जिले में दो दो नियमों से पदोन्नति हो रही है. पदोन्नति में किसी भी प्रकार से काउंसलिंग अनिवार्य नहीं है. काउंसलिंग उसी स्थिति में होती है जब नई पदस्थापना होती है. लेकिन यहां पर कुछ लोगों को अपना फायदा देखने के लिए या उगाही करने के लिए काउंसलिंग का नियम बनाया जाता है. बलरामपुर में रामचंद्रपुर ब्लाक का काउंसलिंग अलग नियम से और कुष्मी ब्लाक का अलग नियम से किया गया."



बलरामपुर में काउंसलिंग में मनमानी :महिला विकलांग को फिर विकलांग को फिर महिला को और फिर पुरुषों को वरीयता के आधार पर पदस्थापना किया जाना है. लेकिन दूसरे दिन पदोन्नति को निरस्त करते हुए पुरुषों को वरीयता के रखकर पदोन्नत में पदस्थ कर दिया गया. तो आप काउंसिल क्यों कर रहे हो.



राजनीति का शिकार हुई पदोन्नति:"डीईओ को अधिकार है की वो प्रमोशन करके नियम के तहत पदस्थापना दे सकते हैं. फिर क्यों काउंसलिंग होगी. लेकिन पूरे प्रदेश में काउंसलिंग के नाम पर पूरे प्रदेश में बवाल मचा कर रखे हैं. राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देखा जा रहा है. पदोन्नति राजनीति का शिकार हो रही है. बहोत कम ही शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकी पदोन्नति से शिक्षक खुश हैं. अगर काउंसलिंग होगी तो विवाद की स्थिति होगी और नियम यही कहता है कि पदोन्नति में काउंसलिंग नहीं होगी."




डीपीआई के नियम में नहीं काउंसलिंग:जिलाध्यक्ष सहायक शिक्षक फेडरेशन संदीप पांडेय ने बताया " डीपीआई का जो दिशा निर्देश है, उसमें काउंसलिंग का नियम है ही नहीं. उसमे पोस्टिंग के निर्देश दिए गए हैं उस आधार पर पदोन्नति करना है. इसके बावजूद निरस्त या काउंसलिंग की बात नहीं आनी चाहिये."



क्या कहते हैं नियम:लोक शिक्षण संचनालय ने पदोन्नति के बाद पदांकन के लिये जो निर्देश दिए हैं उनमें काउंसलिंग का कोई निर्देश नहीं है. विभाग ने समस्त डीईओ और ज्वाइंट डायरेक्टर एजुकेशन को पत्र लिखकर नियम स्पष्ट कर दिए हैं.

  1. पदांकन शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय विद्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर किया जाये.
  2. यथा संभव सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक प्राथमिक में पदांकन हेतु अगर ब्लॉक में पद रिक्त हो तो उसी ब्लाक में अगर ब्लॉक में पद रिक्त ना हो तो जिले के समीप ब्लॉक में पदांकन किया जाये.
  3. यथा संभव शिक्षक एवं प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक पद हेतु अगर ब्लॉक में पद रिक्त हो तो उसी ब्लॉक में, अगर ब्लॉक में पद रिक्त ना हो तो जिले में और जिले में पद रिक्त ना हो तो निकट के जिले में पदांकन किया जाये.
  4. यथासंभव पदांकन अगर पद रिक्त हो तो उसी संस्था में किया जाये.
  5. पदस्थापना रिक्त पद पर ही की जाये.
  6. पदस्थापना उपरांत अन्यत्र सलग्निकरण न किया जाये.
  7. सम्पूर्ण प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता रखी जाये.
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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