सरगुजा: आज आषाढ़ मास का पहला दिन है. अंबिकापुर से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित रामगढ़ पर्वत (Ramgarh Hill ) को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं. मान्यता है कि इसी पर्वत पर बैठकर महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना की थी. कहते हैं जब कालिदास पत्नी विरह में मेघ पत्र लिख रहे थे, वो दिन भी आषाढ़ महीने का पहला दिन था. (first day of ashadha month ) रामगढ़ के पर्वत पर महाकवि कालीदास विरह कर मेघ में पत्र लिख रहे थे. मेघ उनके संदेश अलकापुरी पहुंच रहे थे.
सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में स्थित रामगढ़ पर्वत पर हर साल विशाल मेले का आयोजन आषाढ़ के पहले दिन किया जाता है. जिसमें देश भर से संस्कृत और हिंदी के कवि और शोधकर्ता आते हैं. महाकवि कालिदास (Mahakavi Kalidas) और रामगढ़ के प्रमाण स्वरूप उस दिन शोध पत्र का वाचन भी किया जाता है. प्रशासन के द्वारा विभिन्न साहित्यिक आयोजन 2 दिवस तक आयोजित किये जाते हैं. इस कोरोना संक्रमण के हालातों को देखते हुए ऐसे आयोजन नहीं किए गए हैं. ETV BHARAT आषाढ़ मास के प्रथम दिन आपको रामगढ़ पर्वत और उसके विशेष मान्यता के बारे में बता रहा है. (religious beliefs of Ramgarh Hill)
41 सालों से हो रहा था मेले का आयोजन
पिछले 41 सालों से हर साल आषाढ़ महीने के पहले दिन रामगढ़ महोत्सव(Ramgarh Festival) का आयोजन किया जाता है. आयोजन में साहित्यिक गतिविधियों को प्रमुखता दी जाती है. रामगढ़ को राम वन गमन के समय राम के रुकने का स्थान माना जाता है, साथ ही यहां बनी नाट्यशाला को एशिया की सबसे बड़ी नाट्यशाला (Asia biggest theater ) माना जाता है. लेकिन इस साल मेले का आयोजन नहीं हो सका है.
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मेघदूतम की रचना से जुड़े तथ्य
मेघदूतम में एक यक्ष की कथा है, जिसे अलकापुरी से निष्कासित कर दिया गया था. (Meghdoot) तब उन्होंने रामगिरी पर्वत को अपना ठिकाना बनाया था. आषाढ़ महीने के आगाज के साथ जैसे ही बादल छाए उन्हें प्रेमिका की याद सताने लगी. जंगल में अकेले जीवन काट रहे यक्ष को कोई संदेश वाहक नहीं मिला. तब प्रेम पत्र भेजने के लिये मेघों को ही दूत बनाया गया. मेघदूतम की लोकप्रियता भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से रही है. (Facts related to creation of Meghdoot) संस्कृत के कवि हुए हैं जिन्होंने मेघदूतम से प्रेरित होकर कई काव्य लिखे. सरगुजा के स्वर्णिम इतिहास का यह पन्ना अब तक अनसुलझा है. साहित्य शोधकर्ताओं का दावा, यहां मेघदूतम के प्रमाण देता है तो वहीं इसे लेकर कोई पुरातात्विक शोध (archaeological research ) अबतक नहीं हो सका है.
राम वन गमन पथ में शामिल है रामगढ़ पर्वत
मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम यहां आए थे. उन्होंने अपनी सेना के साथ यहां विश्राम किया था. राम-लक्ष्मण और सीता ने इन गुफाओं में निवास भी किया था. भगवान राम और छत्तीसगढ़ के बीच के संबंध की छाप देखने को मिलती है. रामगढ़ में भगवान के वन गमन के पड़ाव की निशानियां दिखती हैं. यही वजह है कि सरकार ने इसे राम वन गमन पथ में शामिल किया है. पर्वत पर कई अलग-अलग गुफाएं है. माना जाता है कि राम-लक्ष्मण और सीता इन गुफाओं में निवास करते थे.