अम्बिकापुर:छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के लुंड्रा विधानसभा का दूरस्थ गांव नागम इन दिनों चर्चा में हैं. इस गांव को गरीबी उन्मूलन और उन्नत आजीविका के लिए सम्मानित किया गया है. गांव की वास्तविक स्थिति क्या है? इसकी पड़ताल करने ETV भारत की टीम नागम गांव पहुंची. नागम गांव में बड़े बड़े पक्के मकान, दुकान, वाहनों की संख्या एक अलग ही एहसास करा रही थी. करीब 1400 की आबादी वाला ये गांव दूर से ही समृद्ध जान पड़ता है.
खेती पर निर्भर भरण पोषण : ईटीवी भारत की टीम गांव पहुंची, तो सबसे पहले सड़क किनारे एक चलती फिरती दुकान मिली. जैसी शहर के चौपाटी में हुआ करती है. ईटीवी भारत ने दुकानदार से पूछा तो उसने कहा कि वो किसान है. उसका नाम देवराज है. शाम को ठेला लेकर निकलता है. गांव में ही घूमकर सामान बेचता है. उसकी अर्थिक स्थिती ठीक है. गांव में भी लोगों की स्थिति ठीक है. इसके बाद रास्ते में नेतराम से मुलाकात हुई. नेतराम ने बताया कि वो खेती करते है. 6 से 7 एकड़ खेत हैं, जिसमे गन्ना, धान और गेहूं की फसल उगा कर वो अपना भरण पोषण करते हैं. यानी कि इस गांव के लोगों का मूल काम खेती है.
उन्नत खेती सीखकर बढ़ा मुनाफा:आगे ईटीवी भारत की टीम को किराना दुकान दिखा. दुकान में बैठे इंद्रदेव गुप्ता ने बताया कि "8-10 साल से गांव की आर्थिक स्थिती में काफी सुधार हुआ है. ग्राम पंचायत से नरेगा का जॉब कार्ड बना है, जिससे रोजगार मिला, राशन कार्ड बना, स्व सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को काम मिला है. गांव की स्थिति अच्छी है, इसलिए अवार्ड मिला है. गांव वालों के साथ मिलकर पंचायत वालों ने भी परिश्रम किया है, तब जाकर इस गांव को अवार्ड मिला है."
गोबर से खाद बनाकर कमा रही पैसा:आगे गांव की महिला मुन्नी बाई मिली. उसने बताया कि, "खेती और घर गृहस्थी का काम करती हैं. आर्थिक स्थिती ठीक है. गांव के लोगों की भी स्थिती काफी अच्छी है. समूह का काम गांव की अन्य महिलाएं करती हैं." गांव की स्वयं सहायता समूह में काम करने वाली महिला राम पति ने बताया, "गौठान में 2 रुपये किलो गोबर खरीदकर उसका खाद बनाकर उसको 10 रुपए किलो बेचते हैं. अच्छी आमदनी हो जाती है. घर में भी खेती किसानी होती है. गन्ना, धान, मकई, गेहूं, और टमाटर लगाते हैं, सुविधा मिल गई है, तो गांव के लोग खेती कर रहे हैं. 267 महिला समूह के माध्यम से काम करती हैं."