सरगुजा: बलरामपुर जिले के एक किसान की बेटी शहर में किसी तरह पढ़ने आई थी. मामा के घर मे रहकर उसे पढ़ाई करनी थी. शहर आने के बाद उसे पता चला कि खेल में भी करियर बनाया जा सकता है. नतीजा यह हुआ की नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आई एक बच्ची आज नेशनल प्लेयर बन चुकी है. स्कूल और नेशनल गेम्स में उसने 19 गोल्ड (drop row ball) अपने नाम किए हैं.
प्रियंका ने ड्रॉप रो बॉल में नाम किया रौशन:हम बात कर रहे हैं प्रियंका पैकरा की, प्रियंका बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ की रहने वाली हैं. प्रियंका के पिता किसान हैं, बेटी को पढ़ने के लिये अम्बिकापुर भेजा. प्रियंका जब यहां आई तो उसने कभी सोचा भी नहीं था कि किसी खेल में उसकी प्रतिभा प्रदेश के लिए गौरव बन जाएगी. आज प्रियंका ड्रॉप रो बॉल प्लेयर (drop row ball player priyanka paikra) हैं.
ड्रॉप रो बॉल खिलाड़ी प्रियंका पैकरा
कोच ने पहचानी प्रियंका की प्रतिभा: अंबिकापुर में पढ़ाई के दौरान स्कूल में खेल प्रशिक्षक राजेश प्रताप सिंह से प्रियंका की मुलाकात हुई. प्रियंका ग्रामीण परिवेश में रहने वाली किसान की बेटी है वो शरीरिक रूप से बेहद फिट थी. कोच राजेश ने प्रियंका की फिटनेस देखी और उसे खेल के लिये प्रेरित किया. प्रियंका ने कोच की बात मानी और ड्रॉप रो बॉल के प्रशिक्षण में लग गई.
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मेडल की झड़ी लगा चुकी है प्रियंका:प्रियंका ने बताया कि "ड्रॉप रो बॉल खेल में कमाल का स्कोर उसने किया है". उसने 4 स्कूल नेशनल खेल में हिस्सा लिया. इन चारों खेलों में उसने गोल्ड मेडल जीते. इसके अलावा प्रियंका ने 14 ओपन नेशनल खेले. जिसमें उसने 12 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल हासिल किया है. प्रियंका ने नेपाल में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भी हिस्सा लिया. यहां भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर कमा कर दिया. प्रियंका छत्तीसगढ़ में ड्रॉप रो बॉल सिंगल्स की सबसे बड़ी खिलाड़ी हैं.
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क्या है ड्रॉप रो बोल खेल:खेल प्रशिक्षक राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि "यह खेल भारतीय है. हरियाणा में मुख्य रूप से इसे खेला जाता है. इसे खेलने का तरीका लॉन टेनिस जैसा है. अंतर सिर्फ इतना है की इस खेल में बॉल की साइज बड़ी होती है. और टेनिस बैट के स्थान पर खुले हाथ से बॉल को हिट किया जाता है. ड्रॉप बॉल सिंगल, डबल, और ट्रिपल तीन फॉर्मेट में खेला जाता है. छत्तीसगढ़ में 7 वर्ष और सरगुजा में पिछले 5 वर्ष से इसे खेला जा रहा है"
प्रियंका बनना चाहती हैं कोच:प्रियंका पैकरा कहती है कि " वह आगे चलकर खुद भी खेल प्रशिक्षक बनना चाहती हैं. क्योंकि जैसे उनको कोच ने प्रेरणा दी और वो आज एक प्लेयर बन चुकी है. कोच बनकर आने वाली पीढ़ियों को प्रशिक्षण दे कर खेल प्रतिभाओं का विकास करना है" प्रियंका ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो खिलाड़ी बन पाएंगी