सरगुजा: त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव वह नाम जिसने कांग्रेस (Congress) का जन घोषणा पत्र (public manifesto) तैयार कर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की आंधी चलाई. 31 अक्टूबर 1952 को जन्मे टीएस सिंहदेव (TS Singh deo) सरगुजा महाराज मदनेश्वर शरण सिंह देव और राजमाता देवेन्द्र कुमारी के पुत्र हैं. इनके विषय में आप ने अब तक इनकी अमीरी के किस्से बहुत सुने होंगे. लेकिन हम आपको इनकी विरासत के अद्भुत वैभव की जानकारी देने जा रहे हैं.
राज परिवार में जन्मेसिंह देव ने भोपाल के हमीदिया कालेज से इतिहास विषय में एमए (MA in History) किया है. सरगुजा रियासत (princely state) के महाराजा टीएस सिंहदेव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष (President of Municipal Council) चुने जाने के साथ हुई. वह 10 साल तक इस पद पर बने रहे. सिंह देव अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. सिंह देव 2008 से लगातार अंबिकापुर से जीतते हुए आ रहे हैं.
2013 विधानसभा चुनावों में वह सबसे अमीर उम्मीदवार थे. ये 500 करोड़ से अधिक संपत्ति के मालिक हैं. 31 अक्टूबर 1952 को इलाहाबाद में पैदा हुए सिंहदेव के पिता अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव थे. सिंहदेव इतिहास में स्नातकोत्तर हैं. सिंहदेव ने कई सालों तक खुद को राजनीति से दूर रखा. उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन (Join Congress) की और 1983 में अविभाजित मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में राज्य कांग्रेस कमेटी (Congress Committee) के सदस्य बने. सिंह देव की कांग्रेसियों को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका है. सरल स्वभाव के कारण ये सबकी पसंद हैं.
गांधी परिवार से भी सिंह देव का पुराना रिश्ता
अब बात करते हैं राजनैतिक रसूख और अनुभव की तो आपको बता दें कि सिंहदेव के लिये यह सब बिल्कुल भी नया नहीं है. वह बचपन से इस स्तर की राजनीति देखते आ रहे हैं. क्योंकि इनके पिता अविभाजित मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्य सचिव थे. वहीं, माता जी के मंत्री रहने का अनुभव इनके साथ जुड़ा है. गांधी परिवार से भी सिंह देव का काफी पुराना नाता है. एक बार पण्डित जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) एक रैली निकालने इलाहाबाद आये थे. तब उनके बगल से खुली छत वाली लाल स्पोर्टिंग कार (red sporting car) फर्राटे भरती निकल गई.
अपनी रैली के लिए नेहरूजी वैसी ही गाड़ी चाहते थे. लिहाजा अफसरों से उस गाड़ी का पता लगाने को बोले. तब पता चला कि वह गाड़ी वहां अध्ययनरत उनके अभिन्न मित्र सरगुजा महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के पोते टीएस सिंह के पिता मदनेश्वर शरण सिंह की है. गाड़ी मंगाई गई, शानदार रैली हुई. रात डिनर पर सरगुजा के हिज हाईनेस महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के कार वाले 'पोते' के न दिखने पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की. पता चला कि वह आमन्त्रित ही नहीं हैं.
तब नेहरूजी ने कहा कि उनके आने तक वह इन्तजार करेंगे. सकते में आया पूरा प्रशासनिक अमला उनका पता लगाते सिनेमा हॉल पहुंचा. शो रुकवा कर एनाउंस करा कर ढूंढ़ा. नेहरूजी के सामने ला कर उन्हें खड़ा कर दिया था. जिसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनका हाल-चाल जाना और फिर दोनों ने खाना खाया. छत्तीसगढ़ में सिंहदेव ने शुरू से ही कांग्रेस के लिये कैडर बेस्ड काम किया है.