सरगुजा: अंबिकापुर में ऑनलाइन क्लासेस और प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि के विरोध में सोमवार को अभिभावकों का आक्रोश फूट पड़ा है. अभिभावक घर से निकलकर सड़क पर आ गए. हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया गया. फीस बढ़ोतरी को लेकर लगभग 50 लोगों ने स्थानीय घड़ी चौक पर प्रदर्शन किया. इन सभी ने कलेक्ट्रेट जाकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
निजी स्कूलों की फीस वृध्दि से अभिभावक परेशान कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन में जहां देश की सम्पूर्ण व्यवस्था बंद कर दी गई. अब धीरे-धीरे लगभग जनजीवन सामान्य हो चुका है. सभी वर्गों के संचालन की अनुमति दे दी गई है, लेकिन अधिक गेदरिंग वाले स्थान, जैसे स्कूल कॉलेज, शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स को अब तक बन्द रखा गया है. लिहाजा अब इन सेवाओं से जुड़े लोग अपने व्यवसाय को जारी रखने के लिए मार्केटिंग के नए- नए तरीके अपना रहे हैं. इन्ही तरीकों में सुमार है बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई.
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान
अभिभावकों ने बताया कि कई घंटों तक वीडियो कॉलिंग के जरिये बच्चे ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं. फिर क्लॉस में मिलने वाले वर्क को कागजों में भी पूरा कर रहे हैं. पीडीएफ नोट्स सहित किताबों का सिलेबस, देखा जाए तो वर्तमान में पढ़ाई छोटे बच्चों और उनके परिजनों के लिए एक मुसीबत बन चुकी है. लिहाजा अभिवावक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर नियंत्रण रखने की मांग कर रहे हैं.
ऑनलाइन क्लॉसेस बंद करने की अपील
इस दौरान अभिभावकों ने बताया कि पहले भी कई बार अभिवावकों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर सहित शिक्षा मंत्री से भी गुहार लगा चुका है, लेकिन जब बार-बार कहने पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई, तो लोग सड़क पर निकल पड़े. अभिभावक संघ की सीधी 2 मांगे हैं. पहली प्राइवेट स्कूलों द्वारा बेतहाशा फीस वृध्दि रोकी जाए. दूसरा कक्षा 8 वीं तक के बच्चों की ऑनलाइन क्लॉसेस बंद की जाए.
ऑनलाइन क्लासेस को लेकर सरकार क्यों चुप है
बहरहाल, छोटे बच्चे जिन्हें कल तक माता-पिता उनकी हेल्थ का हवाला देकर एंड्रॉयड मोबाइल छूने तक नहीं देते थे. इंटरनेट की रेंज से उन्हें दूर रख बीमारियों से बचाने की नसीहत देते थे. बच्चों और पैरेंट्स के बीच अक्सर मोबाइल फोन ना देने के मामले में ठनी रहती थी, लेकिन आज वही माता-पिता मजबूर हैं. बच्चों को पूरे दिन इंटरनेट युक्त एंड्रॉयड फोन देने के लिए और ये सब स्कूलों के ऑनलाइन क्लासेस के फरमान की वजह से हो रहा है, लेकिन यह सब पता नहीं क्यों सरकार को नहीं दिखता और ना ही उनके नुमाइंदों को दिख रहा है.