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Published : Dec 23, 2020, 11:26 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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गौठानों की बल्ले-बल्ले, वर्मी कंपोस्ट के लिए मिला नेशनल ऑर्डर, एडवांस में मिले 48 हजार रुपये

अंबिकापुर में गोबर से बने वर्मी कंपोस्ट को खरीदने आगरा की एक कंपनी आगे आई है. कंपनी ने पहला ऑर्डर 30 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद का दिया है. इसके लिए 48 हजार रुपये का एडवांस पेमेंट भी किया है.

Cow dung to vermicompost
वर्मी कंपोस्ट के लिए गौठान को मिला ऑर्डर

वर्मी कंपोस्ट के लिए गौठान को मिला ऑर्डर

सरगुजा : जिले ने एक और उपलब्धि हासिल की हैं. अंबिकापुर के केशवपुर गौठान की महिलाओं ने गोबर से बनने वाले वर्मी कंपोस्ट की बिक्री के लिए आगरा की एक कंपनी से अनुबंध किया है. अब जिले का वर्मी कंपोस्ट देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बेचा जाएगा.कंपनी ने गौठान को 30 क्विंटल का ऑर्डर दिया है. इसके लिए 48 हजार रुपये दिए गए हैं.

इंडोग्रीन से हुआ अनुबंध

दरअसल नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी (NGGB) योजना के तहत केशवपुर गौठान में बनाये गये मल्टीएक्टिविटी सेंटर में महिलाएं गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाती है. जिला प्रशासन ने बायोटेक के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इन महिलाओं को एडवांस्ड वर्मी कंपोस्ट बनाने का प्रशिक्षण दिया. अब ये वर्मी कंपोस्ट देश के बड़े बाजार में किसी भी बड़ी कंपनी के उत्पाद को टक्कर दे रहा है. आगरा की इंडोग्रीन कंपनी ने महिला समूह के साथ एग्रीमेंट किया है.

पहली बार ही मिला 30 क्विंटल का ऑर्डर

आगरा की कंपनी ने केशवपुर गौठान में बनने वाले वर्मी कंपोस्ट खाद के लिये अनुबंध कर लिया है.इन्हें पहले ऑर्डर के रूप के 30 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बनाने का ऑर्डर मिला है. जिसके लिए बतौर एडवांस 48 हजार रुपये मिले है. कंपनी को उम्मीद है की ये उत्पाद ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी उनकी एसोसिएटस कंपनियों के जरिए बेचा जा सकेगा.

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महिलाओं की बड़ी आय

महिला समूहों द्वारा बनाया गया यह जैविक खाद अभी तक स्थानीय बाजार में 10 रुपए प्रतिकिलो बिकता था, लेकिन आगरा की कंपनी महिला समूहों से 16 रुपये प्रति किलो की दर से जैविक खाद खरीद रही है. इससे ना सिर्फ महिलाओं की आय में इजाफा होगा बल्कि एक प्रोफेशनल मार्केंटिंग कंपनी के जरिए इनके उत्पादों की बिक्री में भी बढ़ोतरी होगी.

इस तरह बनाया जाता है खाद

गोबर से जैविक खाद का निर्माण प्रदेश भर में चल रहा है.जिले के केशवपुर गौठान में निर्मित खाद की गुणवत्ता मामूली जैविक खाद से कहीं ज्यादा बेहतर है. इसके लिए महिलाओं ने बायोटेक लैब से प्रशिक्षण लिया. जिससे इस जैविक खाद में ट्राइकोडर्मा वीरडी, एंजेला पिन्नाटा, माइकोराइजा गिगासपोरा, और ह्यूमिक एसिड मिलाया जाता है, जो कृषि के लिए लाभदायक सूक्ष्म जीव हैं.

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बदल रहा महिलाओं का जीवनस्तर

ग्रामीण परिवेश में घरेलू काम काज करने वाली ये महिलाएं अब आत्म निर्भर बन रही हैं. इनकी मेहनत रंग ला रही है. अधिक पैसे कमाकर अब महिलाएं अपनी स्थिति और सुदृढ़ कर रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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