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बृहस्पति के सरगुजा राजपरिवार पर आरोपों को लेकर क्या है सरगुजिहों का मत ?

सरल, सहज और हर स्थिति में शांत रहने वाले कांग्रेस के मंत्री टीएस सिंह देव जब सदन में नाराज हुए तो प्रदेश की सियासी हवाओं का रुख बदल गया. विधायक के गंभीर आरोपों से क्षुब्ध टी एस सिंहदेव ने सदन का बहिर्गमन कर दिया. इस घटनाक्रम ने छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में भूचाल ला दिया है.

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टीएस सिंहदेव

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Published : Jul 28, 2021, 1:32 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: चाहे ढाई साल का फार्मूला हो या फिर सरकार में अनदेखी. हर मामले में प्रदेश की जनता और कार्यकर्ता हर वक्त निगाहें टिकाए थे कि बाबा आखिर इतने धैर्य के साथ कैसे रहते हैं. किसी भी मामले में वो उत्तेजित नहीं होते हैं. बड़े से बड़े विवाद में वो शांति से सब कुछ झेल जाते हैं. 27 जुलाई की सुबह विधानसभा के दूसरे दिन का सत्र शुरू हुआ और सिंहदेव की नाराजगी खुलकर सामने आई. इसके बाद हजारों की संख्या में सिंहदेव के समर्थक राजधानी की ओर निकल पड़े.

टीएस सिंहदेव को सरगुजा में लोग अपने अभिवावक की तरह देखते हैं. उन पर लगे आरोपों के कारण बृहस्पति सिंह के खिलाफ लोगों में खासा आक्रोश है. राजपरिवार पर लगे आरोपों पर सरगुजा के लोगों में इतना गुस्सा है कि वो राजपरिवार से मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की भी मांग कर रहे हैं.

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'राजपरिवार करे मानहानि का मुकदमा'

एक भूतपूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि बेशक टी एस सिंह देव और बृहस्पति सिंह एक ही संगठन के हैं और राजनीति में वाद विवाद को संगठन के अंदर सुलझा सकते हैं, लेकिन बृहस्पति सिंह के आरोप अब सिर्फ टी एस सिंह देव तक सीमित नहीं रह गए हैं. उन्होंने सरगुजा राजपरिवार और उनके पूर्वजों का अपमान किया है. लिहाजा राजपरिवार के बाकी लोगों को जिनका संबंध कांग्रेस से नहीं है, उनको इस मामले में मानहानि का मुकदमा करना चाहिए. क्योंकि इससे राजपरिवार के गौरव को ठेस पहुंची है और लाखों सरगुजा वासियों को आहत करने का काम किया गया है.

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'रियासतकाल से सरगुजा में रहा है लोकतंत्र'

सरगुजा के वरिष्ठ पत्रकार अनंगपाल दीक्षित के मुताबिक राजनीति मे आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं. लेकिन किसी आदमी का किसी मामले से कोई लेना-देना ना हो और उसी के दल का शख्स सीधा हत्या कराने के प्रयास का आरोप लगाये तो यह चरित्र हनन करने जैसा है.

राजपरिवार पर सामंतवाद और प्रताड़ना के आरोप के सवाल पर उन्होंने बताया कि सरगुजा के राजा न्याय प्रिय थे. यहां लोकतंत्र था. आज के संविधान और सरगुजा रियासत के बहुत से प्रावधान मेल खाते हैं. यहां उस समय भी लोकतंत्र था. जमीनें राजा की नहीं बल्कि प्रजा की होती थी. राज्य सिर्फ राजस्व लेते थे. राजा न्याय प्रिय थे. वो न्यायालय में लोगों की सुनवाई कराते थे.

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स्वतंत्र एजेंसी करे जांच: भाजपा

सरगुजा भाजपा जिला अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह ने कांग्रेस के विधायक बृहस्पति सिंह और मंत्री टीएस सिंह देव के बीच चल रहे विवादित मामले पर स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि चुनाव पूर्व ही अपने 36 सूत्रीय घोषणा पत्र के अनुसार कांग्रेस ने जनता से वादा किया था कि हमारी सरकार अगर बनेगी तो हम घोषणा के अनुसार कार्य करेंगे, लेकिन अपने ढाई साल के अल्प शासनकाल में ही इनकी एक भी घोषणाएं सफल होती नहीं दिखाई दे रही हैं. पार्टी का अंतर्कलह उभर कर सामने आ चुका है. गुटबाजी में ही ढाई साल निकल गए.

ललन प्रताप सिंह, सरगुजा भाजपा जिला अध्यक्ष

विधायक ने लगाया अनर्गल आरोप: हिमांशु जायसवाल

एनएसयूआई जिला अध्यक्ष हिमांशु जायसवाल ने कहा कि विधायक बृहस्पति सिंह ने पद का गुरुर और घमंड में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पर्याय और हमारे संरक्षक टी एस बाबा पर अनर्गल आरोप लगाया है. कांग्रेस पार्टी की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है, जिससे हम सब अपमानित महसूस कर रहे हैं.

हिमांशु जायसवाल, एनएसयूआई जिला अध्यक्ष
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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