सरगुजा:अम्बिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जन्मी जुड़वां बेटियों में से एक की मौत हो गई. बड़ी बात यह है कि बच्ची की मौत के समय उसके माता-पिता अस्पताल में नहीं थे. गरीबी और आर्थिक तंगी के कारण उन्हें पैसों का इंतजाम करने वापस अपने गांव जाना पड़ा. इधर उनकी नवजात बेटी ने दम तोड़ दिया. बेटी के मौत की जानकारी मिलने के बाद माता-पिता धान और महुआ बेचकर आज शनिवार को अम्बिकापुर पहुंचे और बेटी की लाश लेने अस्पताल पहुंचे थे, जहां पुलिस द्वारा लाश को परिजन को सुपुर्दं किया गया.
सरगुजा में जुड़वां बेटियों में से एक बच्ची की मौत, लाचार थे माता-पिता - Ambikapur Medical College Hospital
अम्बिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जन्मी जुड़वां बेटियों में से एक की मौत हो गई. बच्ची की मौत के समय उसके माता-पिता अस्पताल में नहीं थे. गरीबी और आर्थिक तंगी के कारण उन्हें पैसों का इंतजाम करने वापस अपने गांव चले गए थे.
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जुड़वां बेटियों का जन्म:बलरामपुर जिले के विजयनगर अंतर्गत ग्राम चांकी निवासी प्रसूता 40 वर्षीय गायत्री गुप्ता पति रविंद्र गुप्ता को प्रसव पीड़ा होने पर बलरामपुर में 19 मई को भर्ती कराया गया था. जहां से उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया था. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में महिला ने दो जुड़वां बेटियों को जन्म दिया था.
एक बच्ची एसएनसीयू में भर्ती: जन्म के बाद एक बच्ची का वजन कम होने के कारण डॉक्टरों द्वारा उसे एसएनसीयू वार्ड में रखा गया था. जबकि दूसरी बच्ची मां के साथ थी. इस दौरान आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के पास पैसे खत्म हो चुके थे. जबकि एसएनसीयू में एडमिट बच्चों की देख रेख हॉस्पिटल स्टाफ ही करता है. परिजन वहां नहीं रह सकते हैं. हालांकि मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में इलाज के पैसे तो एक भी नहीं लगते, सब कुछ निःशुल्क है. लेकिन अपने गांव से 100 किलोमीटर दूर शहर में खाने पीने के लिए तो पैसों की आवश्यकता पड़ती ही है.
पहले से हैं 2 बेटियां:दंपत्ति की पहले से दो बेटियां है. ऐसे में परिवार पैसों का इंतजाम करने और बच्चियों को देखने के लिए वापस अपने गांव चला गया था. इस बीच 26 मई की रात उपचार के दौरान एसएनसीयू में बच्ची की मौत हो गई. बच्ची की मौत के बाद जब अस्पताल प्रबंधन ने उसके माता-पिता को खोजना शुरू किया तो वे नहीं मिले.
अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को दी सूचना:परिजन नहीं मिलने पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा इसकी जानकारी पुलिस को दी गई. अस्पताल चौकी पुलिस द्वारा ग्रामीण के गांव विजयनगर में पुलिस से संपर्क कर परिजन को घटना की जानकारी दी गई. लाश को मर्च्युरी में रखवाया गया था.
वापस आने के नहीं थे पैसे: मृत बच्चीके पिता रविंद्र गुप्ता ने बताया कि "वह आर्थिक रूप से कमजोर है और पैसे खत्म होने पर वह घर गया था. घटना की जानकारी मिलने के बाद उसके पास वापस आने के लिए भी पैसे नहीं थे. ऐसे में उसने अपने पास रखे एक क्विंटल धान और 50 किलो महुआ को बेचा. उसके बाद महुआ और धान से मिले पैसे लेकर वह अपनी बच्ची को ले जाने आया था.