अम्बिकापुर:कोरोना महामारी के कारण मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने एक नई पहल की है. जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भारत सरकार और आईसीएमआर को प्रस्ताव भेजा गया है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने वायरोलॉजी लैब की स्थापना और आरटीपीसीआर जांच के बाद जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए प्रस्ताव भेजा है. कॉलेज प्रबंधन अपने कर्मचारियों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए प्रशिक्षित कर रहा है.
क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग:मेडिकल कॉलेज के डीन और वायरोलॉजिस्ट डॉ आर मूर्ति ने बताया कि "शारीरिक रचना में जीन ट्रिप्लेट कोडोन के रूप में होते हैं. इसमें कई कार्यप्रणालियों की सूचना होती है. इंसान के शरीर में मोरफोलॉजिकल फार्म, कंजनेटल फॉर्म हमारे जीन की आधारभूत संरचना से प्रभावित होते हैं. इसी तरह कोई भी जीवित चीज जिसके डीएनए को एक्सेस किया जा सकता है. उसके जीनोम में छिपी व संरक्षित सूचनाओं को डिकोड करने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जरूरत पड़ती है. इससे उसकी संरचना, क्षमता व उपचार के लिए दवाओं के उपयोग का अध्ययन कर एंटी वायरस का निर्माण किया जा सकता है.
2 लाख 70 हजार टेस्ट:अम्बिकापुर में कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच के लिए वायरोलॉजी लैब शुरू किया गया. इसमें एंटीजन, ट्रू नॉट मशीन के बाद आरटीपीसीआर मशीन से सैंपल की जांच शुरू की गई.अब तक मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब में 3.70 लाख से अधिक टेस्ट किए जा चुके है.