सरगुजा: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए रखती हैं. पति की लंबी उम्र का वरदान भगवान से मांगती हैं. इस खास मौके पर हम आपको उस महिला से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने न सिर्फ अपने पति की लंबी उम्र की कामना की बल्कि मौत के मुंह से खींच लाई. राधा और पंकज की ये प्रेम कहानी हमें ये संदेश देती है कि साथी का मतलब है हर परिस्थिति में साथ खड़े होना.
सिर्फ व्रत ही नहीं रखा बल्कि अपने 'कृष्ण' को मौत के मुंह से छीन लाई राधा अंबिकापुर के देवीगंज रोड में रहने वाली राधा गुप्ता ने अपने पति पंकज को नया जीवन दिया है. साल 2014 को पता चला कि पंकज की दोनों किडनियां खराब हो गई हैं. ट्रांसप्लांट के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था. राधा, पंकज और मौत के बीच खड़ी हो गईं और अपनी किडनी देकर पति का जीवन बचा लिया.
राधा ने पति पंकज को दी अपनी किडनी
मुंबई के अस्पताल में लंबे इलाज के बाद आज राधा और पंकज स्वस्थ और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं. दोनों का जीवन एक किडनी के सहारे चल रहा है. पंकज पेशे से वकील हैं लेकिन इस बीमारी के बाद राधा ने घर के काम के अलावा आर्थिक रूप से भी पति पंकज की मदद करने का फैसला लिया. राधा ब्यूटी पार्लर चलाकर घर के खर्चों में भी अपने पति की बराबर की सहयोगी बनी हुई हैं.
बाकी बहुए भी रहने लगीं करवा चौथ का व्रत
राधा अपने परिवार में पहली बहू हैं, जिसने करवा चौथ का व्रत शुरू किया. इस परिवार में करवा चौथ के व्रत की परंपरा नहीं थी. वर्ष 2008 मैं राधा ने करवा चौथ का व्रत शुरू किया था और शायद यही वजह है कि उनके पति मौत के मुंह से वापस आ चुके हैं. राधा के परिवार में हुई इस घटना के बाद परिवार की अन्य बहुएं भी इस व्रत को करने लगी हैं.
जानने वाले कहते हैं कि कलयुग की सावित्री हैं
राधा को जानने वाले कहते हैं कि उन्होंने कलयुग में सावित्री जैसा काम किया है. लोग कहते हैं कि जिस तरह सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से लड़कर मौत के मुंह से वापस लाया था. इस कलयुग में कुछ इसी तरह राधा ने भी मौत से जंग लड़ी और अपने पति को नया जीवन दिया. इसके साथ ही इस नए जीवन में राधा अपने पति के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है. करवा चौथ के दिन राधा उन सभी सुहागिन महिलाओं के लिए एक मिसाल है जो करवा चौथ का व्रत करती हैं.