Negligence In Ambikapur Collector Office : अंबिकापुर कलेक्टर दफ्तर के पास बोरवेल दे रहा हादसों को दावत - Borewell Case
Negligence In Ambikapur Collector Office: अंबिकापुर कलेक्टर दफ्तर में प्रशासन की घोर लापरवाही देखने को मिली है. कलेक्टोरेट परिसर में एक खुला बोरवेल किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.
Etv Bharat
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Published : Jul 12, 2023, 5:45 PM IST
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Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
अंबिकापुर कलेक्टर दफ्तर के पास बोरवेल से हो सकता है हादसा
सरगुजा :आपने दिया तले अंधेरा वाली कहावत तो जरुर सुनी होगी. लेकिन ये कहावत सरगुजा के कलेक्टोरेट में सही साबित हो रही है. कलेक्टोरेट ऑफिस में एक बोरवेल खुलेआम बड़े हादसे को दावत दे रहा है. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में बोरवेल में गिरे एक बच्चे के रेस्क्यू के लिए प्रशासन को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था. ऐसे में कलेक्टर दफ्तर के पीछे मौजूद बोरवेल कभी भी किसी भी बच्चे का जीवन लील सकता है.
अफसरों को नहीं दिखता खुला बोरवेल :सरगुजा कलेक्टोरेट में कई शासकीय दफ्तर संचालित हैं.लेकिन कलेक्टर ऑफिस के ठीक पीछे दरवाजे के बाजू में एक बोरवेल खुला है. इसी जगह पर मौजूद सभा कक्ष में कई शासकीय बैठकें होती हैं.हफ्ते के मंगलवार को यहां जनदर्शन की बैठक होती है. जहां कलेक्टर के अधिकारी अपनी गाड़ियों को पार्क करते हैं.लेकिन इसी पार्किंग वाली जगह में किसी भी अधिकारी को खुला हुआ बोरवेल नहीं दिखता है.
" कलेक्टर जनदर्शन के दौरान कई बच्चे आते हैं, अधिकारी आते हैं. वहां गाड़ी पार्किंग होती है. सारे शासकीय अधिकारी आते हैं.फिर भी बोरवेल खुला है तो ये बड़ी लापरवाही है.ये जिला कार्यालय की लापरवाही है. इसमे कोई भी दुर्घटना हो सकती है, शासन को इसे तत्काल बंद कराना चाहिये" - दिनेश सोनी, सामाजिक कार्यकर्ता
आपको बता दें कि जिस जगह पर बोरवेल है.उसके ठीक सामने कलेक्टर जनदर्शन कार्यक्रम करते हैं.जिसमें कई बच्चे आते हैं.ऐसे में यदि कोई बच्चा खेलते-खेलते इस बोरवेल में गिर गया तो क्या होगा.सिर्फ बच्चे ही नहीं कोई भी इस गड्ढे में फंसकर चोटिल हो सकता है. जांजगीर चांपा में ऐसे ही बोरवेल में 11 साल का बच्चा राहुल गिरा था.जिसे 105 घंटे के कड़े रेस्क्यू के बाद बचाया गया था. इस घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को सख्त निर्देश दिये थे कि बंद पड़े खुले हुये बोरवेल को बंद कराया जाए. लेकिन सीएम के आदेश के प्रति खुद कलेक्टर दफ्तर में संजीदगी नहीं दिखती है.