सरगुजा: होनहार बिरवान के होत चिकने पात... अंबिकापुर के युवा वैज्ञानिक योगेश प्रताप सिंह ने इसे सच साबित किया है. महज 24 साल की उम्र में योगेश को डीआरडीओ ने उनके शोध के लिए सम्मानित किया है. अंबिकापुर के केदारपुर में रहने वाले योगेश प्रताप सिंह के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह कन्या महाविद्यालय में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत हैं. योगेश ने अपनी 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई अंबिकापुर के होलीक्रॉस स्कूल से की थी. एनआईटी रायपुर से बीटेक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने साल 2018 में ही प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप जीतकर आईआईएससी बैंगलोर में पीएचडी की पढ़ाई शुरू की.
उनके इस प्रोजेक्ट को डीआरडीओ ने पहली बार में चयनित कर लिया था. योगेश प्रदेश के पहले छात्र हैं जिन्हें इतनी अधिक स्कॉलरशिप मिली है. साथ ही बीटेक के बाद बिना एमटेक किए ही सीधे पीएचडी करने वाले भी वो प्रदेश के पहले छात्र हैं. योगेश के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह गर्ल्स कॉलेज में लैब टेक्नीशियन हैं. लेकिन उन्होंने बचपन से ही अपने दोनों बच्चों को खूब पढ़ाया है. योगेश की पढ़ाई के लिए उन्हें कर्ज तक लेना पड़ा. माता पिता के सपने को योगेश ने पूरा किया और उन्हें कभी निराश नहीं किया.
योगेश के शोध को इसरो और डीआरडीओ ने किया स्वीकार