सरगुजा:सरगुजा जिले में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. बस जरुरत है सही मार्गदर्शन की. सरगुजा के सीतापुर के युवक दीपक कंसारीताइक्वांडो के नेशनल खिलाड़ी हैं. लेकिन वह तंगहाली में जिंदगी जीने को मजबूर है. पिता की भी हालत खस्ता है. वह होटल चलाकर परिवार चला रहे हैं. दो बहनों की जिम्मेदारी उन पर है. आर्थिक तंगी की वजह से दीपक को ना तो खेल में मन लग रहा था और ना ही परिवार की जिम्मेदारी निभा पा रहे थे. लिहाजा दीपक ने कलेक्टर सरगुजा से अपनी समस्या बताई. कलेक्टर ने तत्काल जिला प्रशासन को दीपक को फुटबॉल एकेडमी में जॉब देने के निर्देश दिए हैं. जिससे दीपक काफी खुश हैं
कई मेडल जीत चुके हैं दीपक: दअरसल अम्बिकापुर मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर सीतापुर में रहने वाला युवक दीपक कंसारी ताइक्वांडो में कई नेशनल गेम खेल चुके हैं. दीपक ने भारत में गोल्ड और सिल्वर प्राप्त किया तो वहीं भारत से बाहर खेलते हुये उसने ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया है.दीपक के पिता होटल चलाते हैं. इसी से दीपक सहित 2 बहनों का भरण पोषण होता है. लेकिन दीपक अब बड़ा हो चुका है. उस पर भी परिवार का बोझ है. दो बहनें हैं लिहाजा वो परिवार की जिम्मेदारी के सामने अपने खेल में ध्यान नही दे पा रहा था. बेरोजगारी उसके सामने चुनौती के रूप में खड़ी थी. लेकिन अब दीपक अपने खेल के साथ कुछ पैसे भी कमा सकेगा.
ताइक्वांडो के नेशनल खिलाड़ी दीपक कंसारी को मिली मदद
सरगुजा जिला प्रशासन खेल के क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं को मदद पहुंचा रही है. इस बार सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा ने ताइक्वांडो के नेशनल खिलाड़ी दीपक कंसारी को मदद पहुंचाई है.
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रिबिका को भी मिल चुकी है जॉब:कोरोना काल मे भी कलेक्टर ने एक मजदूर की बेटी को जनपद पंचायत मैनपाट में काम दिया था. बास्केटबॉल की इंटरनेशनल खिलाड़ी रिबिका लकड़ा को कलेक्टर ने जॉब दिया था. रिबिका अपने पिता के साथ खेत मे मजदूरी कर रही थी. इसकी सूचना कलेक्टर को लगी तो उन्होंने रिबिका को जनपद पंचायत में कलेक्टर दर पर नौकरी दी.
सरगुजा में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं:सरगुजा आदिवासी अंचल है लेकिन यहां प्रतिभाशाली प्रतिभाओं की भरमार है. लेकिन सुविधाओं के आभाव और आर्थिक स्थिति के कारण बहुत से प्रतिभा आगे नहीं बढ़ पाती है. सरकार को खेल को आगे बढ़ाने की दिशा में भी बड़े कदम उठाने की जरूरत है.