सरगुजा: सरगुजा में हसदेव अरण्य के जंगलों को बचाने की मुहिम तेज हो गई है. यहां परसा और केते बेसेन कोयला खदानों के खिलाफ विरोध तेज हो गया है. सरगुजा के ग्रामीण कोयला खदानों के खोलने के तरीकों का विरोध कर रहे हैं. जिस तरह से यहां जंगलों की कटाई की जा रही है. उसके खिलाफ ग्रामीण यहां लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते तीन महीने से ग्रामीण यहां लगातार धरने पर बैठे हुए हैं. इस धरने को लोगों का सर्मथन मिल रहा है.
6 और 7 जून को होगा हसदेव अरण्य को बचाने के लिए बड़ा आंदोलन:परसा और केते कोल खदान के विरोध में आंदोलन आग की तरह फैल रहा है. विरोध खदान खुलने का नहीं बल्कि उसे खोलने के तरीके और जंगलों की कटाई को लेकर यहां विरोध प्रदर्शन जारी है. 6 और 7 जून को सरगुजा में बड़ा आंदोलन होगा. इस विरोध प्रदर्शन में पूरे देश के पर्यावरविद जुटेंगे. पर्यावरण के जानकार इसके लिए सरगुजा पहुंचेंगे.
हसदेव अरण्य आंदोलन से स्वेच्छा से जुड़ रहे लोग:हसदेव अरण्य को बचाने के लिए यहां लोग स्वेच्छा से जुड़ रहे हैं. ग्रामीणों के अलावा कई राजनेताओं ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है. हसदेव को बचाने के लिए विदेश में भी मुहिम चलाई जा रही है.दुनिया भर में लोग सरगुजा के जंगल को बचाने के कवायद में साथ खड़े हैं और अपने अपने तरीके से समर्थन कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें:Campaign to save Hasdev Aranya: हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का विरोध जारी
हसदेव अरण्य को बचाने के आंदोलन में ये पर्यावरणविद होंगे शामिल
-
कमलेश कुमार सिंह, झारखंड - मनोज कुमार डागा, ओडिशा
- सुरेंद्र साहू, छत्तीसगढ़
- संजय कुमार बबलू, बिहार
- अमित कुमार वर्मा, बिहार
- भूपेंद्र सिंह, मध्यप्रदेश
- अर्चना मेडेवार, महाराष्ट्र
- आदित्य देव, छत्तीसगढ़
- श्याम सुंदर गुप्ता, ओडिशा
- राकेश कुमार बिश्नोई, पंजाब और हरियाणा
हसदेव अरण्य आंदोलन को मिला कांग्रेस का समर्थन:हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान के लिए वनों की कटाई के विरोध में आंदोलनरत ग्रामीणों को सरगुजा कांग्रेस ने समर्थन दिया है. औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक के नेतृत्व में जिला कांग्रेस और जिला और जनपद पंचायत सदस्यों ने आंदोलन स्थल पर जाकर ग्रामीणों की हौसला अफजाई कर अपना समर्थन जताया है.
ग्रामीणों ने सरकार पर लगाया अडानी को लाभ पहुंचाने का आरोप:सरगुजा और कोरबा के सरहदी इलाकों में परसा और केते कोयला खदान है. गांव वालों का आरोप है कि यहां उद्योगपति अडानी को लाभ पहुंचाने के लिए खनन की अनुमति दी गई है. गांव वालों का आरोप है कि गांव वालों को अंधेरे में रखकर यहां पेड़ काटे जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें:जानिए क्या है हसदेव अरण्य को बचाने का मामला? जिसे लेकर आदिवासी समाज ने किया रेल रोको आंदोलन
पुलिस के पहरे में हुई पेड़ की कटाई:विकासखंड उदयपुर अंतर्गत आने वाले ग्राम घाटबर्रा पेंड्रामार जंगल में सोमवार को वन अमला पेड़ की कटाई कर रहा था. सैकड़ों की संख्या में मौजूद पुलिस बल की उपस्थिति में परसा ईस्ट एवं केते बासेन कोल परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का काम सुबह 7 बजे करीब शुरू किया गया था. ग्रामीणों की कम संख्या में उपस्थिति के दौरान पेड़ों की कटाई मशीनों के माध्यम से धड़ल्ले से की जा रही थी. इस कटाई कार्य में पुलिस मौजूद थी. गांव वालों का आरोप है कि यहां बिना गांव वालों के परमिशन के पेड़ों की कटाई की जा रही है. जिसका लगातार विरोध होता रहेगा.