अंबिकापुर:पूरा देश खुशी और जश्न के साथ क्रिसमस का त्योहार सेलिब्रेट कर रहा है. कभी सरगुजा संभाग में एक भी ईसाई समाज के लोग नहीं रहते थे. आज सरगुजा संभाग में ईसाई समाज के लोगों की अच्छी खासी संख्या है. क्रिश्चियन समाज के लोग सालों से सरगुजा में रहते आ रहे हैं. उनके पर्व और त्योहार को बाकी लोग भी उनती ही शिद्दत से मनाते हैं जितना की ईसाई परिवार.
Merry Xmas क्रिसमस पर जानिए सरगुजा के पहले ईसाई परिवार की कहानी
first Christian family settled in Surguja in 1942 सरगुजा संभाग के अंबिकापुर में आकर बसा था पहला ईसाई परिवार. क्रिसमस सेलिब्रेशन के बीच पढ़िए बस्तर में ईसाई समाज के बसने की पूरी कहानी. story of Maan Kumari on Christmas Eve
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Dec 25, 2023, 7:37 PM IST
अंबिकापुर में बसा था सबसे पहले ईसाई परिवार:आजादी से पहले जब राजे रजवाड़े हुए करते थे तब सरगुजा में मदनेश्वर शरण सिंहदेव राजा हुआ करते थे. आजादी के बाद वो आईएएस बने. बाद में वो अपनी मेहतन की बदौलत मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी के पद तक पहुंचे. राजपरिवार ने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक ईसाई परिवार को बुलाया. परिवार के सदस्य बताते हैं कि उनको बुलाने के लिए राजपरिवार के लोगों ने पालकी भेजी थी. पालकी पर सवार होकर ये परिवार अंबिकापुर पहुंचा था. बताया जाता है कि ईसाई परिवार को गोंडवाना रियासत के महेवा से बुलाया गया था. बच्चों को पढ़ाने आई मान कुमारी को पूरे परिवार के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा सौपा गया. मान कुमारी ने सरगुजा रियासत की गंगा स्कूल में पढ़ाने का का काम किया और यहीं से वो रिटायर भी हुईं.
मान कुमार के वंशज आज भी अंबिकापुर में मौजूद:अंबिकापुर में आकर बसे सरगुजा के पहले ईसाई परिवार के वंशज आज भी यहां रहते हैं. परिवार वाले बताते हैं कि जब उनके पूर्वज यहां पहली बार आए थे तब उनका विरोध भी हुआ था. राजपरिवार के लोगों ने परिवार की सुरक्षा की जिसके बाद लोगों ने भी उनको अपना लिया. मान कुमारी के पोते की मानें तो उनकी दादी कहा करती थीं कि उनको राजपरिवार का पूरा साथ मिला. राजपरिवार ने लोगों से भी कहा कि अपने धर्मों का प्रचार करने की सभी को छूट है, कोई गलत काम नहीं हो इसका जरूर ध्यान रखा जाएगा. सरगुजा राजपरिवार के जानने वाले गोविंद शर्मा भी बताते हैं कि मान कुमारी ने मदनेश्वर शरण सिंहदेव को भी पढ़ाया. उनकी पढ़ाई की बदौलत ही वो बड़े अधिकारी बने. मान कुमारी के पढ़ाए कई छात्र बाद में डॉक्टर और अफसर बने.