सरगुजा: एक बार फिर नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं, अच्छे दिन के वादे में उनके पिछले कार्यकाल में सरगुजा संभाग में अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाने वाला मेडिकल कॉलेज शुरू किया गया, लेकिन पीएम मोदी की दूसरी पारी की शुरुआत होते ही इस मेडिकल कॉलेज के बुरे दिन शुरू हो गए हैं. मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर को इस वर्ष जीरो ईयर घोषित कर दिया गया है, जो मेडिकल के छात्रों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है, साथ ही छत्तीसगढ़ को उन 100 डॉक्टरों की कमी भी होगी जो इस जीरो ईयर की वजह से डॉक्टर नहीं बन सकेंगे.
मेडिकल कॉलेज को जीरो ईयर घोषित दरअसल, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने पहले भी कई बार दौरा किया और मेडिकल कॉलेज के लिए उपयुक्त संसाधनों की कमियों को गिनाया, जिसके बाद से प्रदेश सरकार ने सुविधाओं में इजाफा भी किया, हालही में मेडिकल कॉलेज के स्वतंत्र कैम्पस का काम भी शुरु हो चुका है, लेकिन मेडिकल काउंसिल ने कॉलेज में सुविधाओं की कमी बताते हुए इस वर्ष जीरो ईयर घोषित कर दिया है.
जीरो ईयर होने की वजह से इस वर्ष अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज की 100 सीटों पर नए एडमिशन नहीं हो सकेंगे, लेकिन बाकी की क्लासेस चालू रहेंगी, लेकिन नीट क्वालीफाई कर चुके छात्रों के लिए ये बुरी खबर है, प्रदेश की कुल मेडिकल सीटों में 100 सीटें कम हो गई हैं, जिससे छात्रों का कटऑफ भी बढ़ेगा, और अंबिकापुर में एडमिशन लेने वाले सौ छात्र इस वर्ष वंचित रह जाएंगे.
जीरो ईयर होने से न सिर्फ छात्रों के भविष्य पर बल्कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि इस साल की पढ़ाई से प्रदेश को मिलने वाले सौ डॉक्टरों की सेवा नहीं मिलेगी, वहीं इस मामले में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव सहित स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर जीरो ईयर घोषित न किए जाने की मांग की है, हालांकि अब तक कोई सकारात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिला है.
मेडिकल जानकार जीरो ईयर को चिंता का विषय बताते हुए इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं वहीं बीजेपी नेता भी सरगुजा को पिछड़ा क्षेत्र होने के नाते रियायत देने की बात कहते दिखाई दे रहे हैं.