सरगुजा: चार दिवसीय छठ महापर्व शनिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया है. सरगुजा में भी छठ की धूम देखने को मिली है, लेकिन कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन के कारण बाकी साल के मुकाबले इस साल लोगों की भीड़ बेहद कम रही.
बिहार-झारखंड और उत्तरप्रदेश की सीमा पर बसे होने के कराण सरगुजा में छठ पर्व की रौनक देखने को मिलती थी, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से छठ घाटों में भीड़ बहुत कम दिखी. ज्यादातर लोगों ने अपने घरों में ही जलकुंड बनाकर छठ व्रत किया और घर पर बनाए गए कुंड में ही भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. हालांकि बड़े शहरों और विदेशों में लोग पहले भी ऐसे ही छठ पूजा घर पर ही करते थे, लेकिन सरगुजा में यह पहली बार हुआ कि लोगों ने अपने घर पर ही छठ किया हो. सरगुजा में चार दिनों तक छठ गीत की गूंज सुनाई देती रही, भोजपुरी का प्रसिद्ध छठ गीत " कांच ही बांस की बंसुरिया बहंगी लचकत जाए" जैसे तमाम पुराने गीतों की धुन घर-घर से सुनाई दे रही थी.