सरगुजा : ऐसा माना जाता है की देश में अंतिम चीता सरगुजा संभाग के कोरिया में दिखा था, कोरिया के तत्कालीन महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव ने इस चीते का शिकार किया था. इस शिकार में एक साथ तीन चीतों का शिकार किया गया था. अब देश में एक बार फिर से विदेशों से चीते लाये जा रहे हैं. एक बार फिर भारत मे चीते दिखेंगे. (last cheetah was killed by Koriya king )
हमनाम होने से हुआ भ्रम: इस संबंध में ETV भारत ने रियासतों के जानकार गोविंद शर्मा से बात की "उन्होंने बताया " सरगुजा के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव और समकालीन पड़ोसी राज्य कोरिया के राजा का नाम रामानुज प्रताप सिंहदेव के नाम मे समानता थी. इस वजह से कई बार भ्रम की स्थिति बनती रही. इसी भ्रम में अंतिम चीते को मारने का रिकॉर्ड भी करीब 75 वर्षों तक सरगुजा महाराज रामानुज शरण सिंहदेव के नाम दर्ज था. बाद में इसकी पुष्टि कर इस रिकॉर्ड में संशोधन किया गया. कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव के नाम अंतिम चीते को मारने का रिकार्ड दर्ज हुआ."
दोनों थे समकालीन राजा:गोविंद शर्मा बताते हैं कि "सरगुजा रियासत के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव का जन्म 1895 में हुआ और कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव का जन्म 1905 में हुआ. दोनों की उम्र में 10 वर्ष का ही अंतर था. क्योंकि कोरिया राजा इनसे उम्र में छोटे थे. तो उनके पिता ने सरगुजा महाराज को ही अपने बेटे की जिम्मेदारी दी थी. इसलिए सरगुजा महाराज हमेशा कोरिया को अपना समझते थे."