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कोरोना काल में व्यवस्थित हैं ओल्ड एज होम, कोरोना संक्रमण से भी हैं सुरक्षित

कोरोना काल में ओल्ड एज होम और दिव्यांगों की संस्था का क्या हाल है ? ये जानने के लिए ETV भारत की टीम आश्रम पहुंची और वहां का जायजा लिया. कुछ आश्रम में व्यवस्थाएं ठीक दिखी तो वहीं कुछ जगहों पर किसी भी तरह की सहायता नहीं मिलने से व्यवस्थाओं में कमी दिखाई पड़ी.

Know what is the condition of old age home and organization of disabled in Corona era in ambikapur
कोरोना काल में ओल्ड एज होम और दिव्यांगों की संस्था का क्या हाल है जानिए

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Published : May 20, 2021, 6:20 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा:कोरोना बुजुर्गों के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है. घरों में परिवार के साथ रहने वाले बुजुर्गों की देखभाल के लिए उनका परिवार है, बच्चे हैं. लेकिन ऐसे कई बुजुर्ग हैं जो अपने जीवन का आखिरी पड़ाव वृद्धाआश्रम में गुजारने को मजबूर हैं. ओल्ड एज होम में बुजुर्गों के लिए कैसी व्यवस्थाएं हैं ? कोरोना को लेकर किस तरह की सतर्कता बरती जा रही है ? ये देखने के लिए ETV भारत की टीम अंबिकापुर शहर की सीमा पर ग्राम अजिरमा के पास बने शासकीय ओल्ड एज होम पहुंची.

सरगुजा जिले में ओल्ड एज होम क्या क्या है हाल

जहां देखने के बाद ऐसा लगा जैसे इस वृद्धाश्रम में निराश्रित बुजुर्ग अपना जीवन आराम से गुजार रहे हैं. जिले में तीन ऐसी संस्थाएं हैं जो निराश्रित बुजुर्गों के लिए बनाई गई हैं. खास बात ये है कि तीनों ही केंद्र अब तक कोरोना संक्रमण से सुरक्षित है. यहां किसी भी आश्रित या स्टाफ को अब तक कोरोना भी नहीं हुआ है.

वृद्धा आश्रम में बुजुर्गों का रखा जा रहा ख्याल

ETV भारत की टीम सबसे पहले शासकीय वृद्धाश्रम पहुंची. जहां 25 बेड की व्यवस्था है. जिसमे 15 बुजुर्ग ही यहां निवास करते हैं. बाकी 8 बेड अब भी खाली हैं. लेकिन कोरोना काल में आश्रम में सिर्फ 7 लोग ही रह रहे हैं. बाकी के कई लोग कोरोना काल में अपने-अपने घर चले गए हैं. केयर टेकर विदेश यादव ने बताया कि बुजुर्गों का यहां पूरा ख्याल रखा जाता है. यहां काम करने वाले कर्मचारी ही उनका ख्याल रखते हैं. बुजुर्गों का चाय, नाश्ता, खाना, दवाइयों का जिम्मा इनके पास ही होता है. इसके अलावा आश्रम में इनके आराम और मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. जिसके लिए टीवी व म्यूजिक सिस्टम भी लगाया गया है. गर्मी से बचने के लिये कूलर पंखे की पर्याप्त व्यवस्था है.

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शहर से दूर काफी बड़े स्पेस में बनाया गया आश्रम

1995 में बने इस आश्रम का स्वरूप बेहद खास है. इसे शहर की चकाचौंध से दूर बनाया गया है. काफी बड़े क्षेत्र में फैले होने के कारण कैंपस के अंदर गार्डन है. वॉक करने के लिये अंदर भी पर्याप्त खाली भूखंड है. जो किसी भी बुजुर्ग की सेहत बनाये रखने के लिए बेहद जरूरी है. किचन में खाना पकाने, साफ सफाई, देखरेख व तमाम जिम्मेदारियों के लिये अलग-अलग स्टाफ है. जो यहां रहने वाले वृद्ध जनों की सेवा करते हैं.

'कोरोना काल में जनसहयोग नहीं मिलने से हो रही परेशानी'

ETV भारत की टीम ने मानसिक दिव्यांगों की संस्था घरौंदा का भी जायजा लिया. यहां भी मानसिक दिव्यांगों की देखरेख का जिम्मा एक निजी संस्था को दिया गया है. लेकिन शासन से अनुदान प्राप्त होता है. जिससे यहां की व्यवस्थाओं को संचालित किया जा रहा है. संचालिका रीता अग्रवाल ने बताया की फिलहाल घरौंदा में 31 लोग रह रहे हैं जिनकी देख रेख के लिये 22 कर्मचारी हैं. इनमें से 15 कर्मचारी तीन शिफ्ट में नियमित ड्यूटी करते हैं और बाकी में 7 कर्मचारी मेडिकल इमरजेंसी या मेडिकल टेस्ट के लिए ही यहां आते हैं. यहां भी मानसिक दिव्यांगों की देखरेख की जा रही है.

निशक्त जनों के लिये पुनर्वास केंद्र में बजट का अभाव

निशक्त जनों के लिये पुनर्वास केंद्र और ब्लाइंड बच्चों के लिए संचालित होने वाला कलावती पुनर्वास केंद्र बजट के आभाव में बदहाली की मार झेल रहा है. संचालिका रीता अग्रवाल ने बताया कि इनकी संस्था जनसहयोग से ही चलती है. जो कोरोना के कारण ठीक से नहीं मिल पा रही है. लेकिन फिर भी इनकी कोशिश है कि किसी भी दिव्यांग को परेशानी ना हो. दरअसल 6 साल से संचालित इस संस्था को आज तक शासन से कोई सहयोग नहीं मिल सका है. नतीजन जन सहयोग से चलने वाली यह संस्था कोरोना काल मे बुरे दौर से गुजर रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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