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स्वतंत्रता के संग्राम में सरगुजा के वीर सपूतों का योगदान

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Published : Aug 14, 2022, 10:21 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा के व्याख्याता ने संभाग भर के स्वतंत्रता सेनानियों को खोजा. कई ऐसे परिवार हैं जो गुमनामी का जीवन बसर कर रहे थे. ऐसे परिवारों और आजादी की लड़ाई में उनके योगदान की कहानी शोधकर्ता अजय चतुर्वेदी ने सबके सामने लाई. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Etv B Exclusive conversation with researcher Ajay Kumar Chaturvediharat
शोधकर्ता अजय कुमार चतुर्वेदी से खास बातचीत

सरगुजा:अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए भारत देश को 75 वर्ष होने जा रहे हैं. इस ऐतिहासिक क्षण को अमृत महोत्सव का नाम दिया गया है. ऐसे में तमाम तरह के आयोजन देश में हो रहे हैं. स्वतंत्रता के दीवानों को याद किया जा रहा है. ऐसे में सरगुजा के व्याख्याता ने संभाग भर के स्वतंत्रता सेनानियों को खोजा. कई ऐसे परिवार हैं जो गुमनामी का जीवन बसर कर रहे थे. ऐसे परिवारों और आजादी की लड़ाई में उनके योगदान की कहानी सबके सामने लाने का काम किया है शोधकर्ता अजय चतुर्वेदी ने.

स्वतंत्रता के संग्राम में सरगुजा के वीर सपूतों का योगदान

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बलरामपुर और सूरजपुर के सेनानी:सरगुजा संभाग के 5 जिलों में 38 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानी सामने लाई है. आइये जानते हैं संभाग के जिलों में कौन कौन स्वतंत्रता सेनानी हुये हैं. बलरामपुर जिले में घुरा साव हलवाई, महली भगत और राजनाथ भगत, वही सूरजपुर जिले में बाबू परमानंद और धीरेंद्र नाथ शर्मा का नाम शामिल है. इनमें बाबू परमानंद का नाम शासन की सेनानियों की सूची में आज तक शामिल नहीं हो सका है.

सरगुजा जिले के सेनानी:सरगुजा जिले में 14 सेनानी हुये जिनमे स्व टीवी राव, उमेद सिंह रावत, नैन सिंह ठाकुर, रघुनंदन तिवारी, भास्कर नारायण माचवे, मेवाराम, अमृत राव घाटगे, मजही राम गोंड, आनंद प्रसाद, राजदेव पांडेय, ज्ञानी दर्शन सिंह और शिवदास राम, आनंद प्रसाद हलधर, राजदेव पांडेय, श्याम सिंह गिल, वासुदेव प्रसाद खरे शामिल हैं.

जशपुर और कोरिया के सेनानी:जशपुर जिले में साधु राम अग्रवाल, शिव कुमार सिंह, चंद्रिकेश्वर दत्त, प्राण शंकर मिश्र, महेश्वर सिंह, राम भजन राय, नारायण राम यादव, पारसनाथ मिश्र हैं. वहीं कोरिया जिले में नित्य गोपाल रे, मौजी लाल जैन, पन्ना लाल जैन, हेमंत कुमार कार, धरम सिंह, अनिल चटर्जी, रमेश चंद्र दत्त, शंकरी प्रसाद सेन, जगदीश नामदेव, गुलाब राम सोनार, अहिभूषण मुखर्जी शामिल हैं.

शोधकर्ता अजय कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि "सरगुजा अंचल कुछ वीर सपूतों की जन्मभूमि और कुछ की कर्मभूमि है. देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों के सामने आजादी के बाद जब जीविकोपार्जन की समस्या उत्पन्न हुई तो वे रोजगार की तलाश में सरगुजा आ गए. कुछ सेनानियों ने नौकरी के लिए सरगुजा को अपना कर्म क्षेत्र बनाया. मैंने अभी तक सरगुजा संभाग के 38 स्वतंत्र संग्राम सेनानियों के परिजनों से मिल कर जीवन गाथा का लेखन कर लिया है. जिनमें सरगुजा जिले से 14, बलरामपुर जिले से 03, सूरजजपुर जिले से 02 कोरिया जिले से 11 और जशपुर जिले से 08 हैं. इनमें 26 नाम सरगुजा गजेटियर 1989 में दर्ज हैं. आज भी अनेक वीर सपूतों के नाम गुमनाम हैं. सरगुजा अंचल के ऐसे ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ढूढ़ा और उनके परिजनों से संपर्क कर जीवन गााथा को लिख रहा हूं."

सरगुजा अंचल के अमर शहीद ब्रह्मचारी बाबू परमानंद:अजय चतुर्वेदी की ने बताया कि "मेरे शोध के दौरान सरगुजा अंचल के सूरजपुर जिले के एक गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ब्रह्मचारी बाबू परमानंद की जानकारी मिली. जो 18 वर्ष 02 महीना 08 दिन में जेल में ही देश की खातिर शहीद हो गए थे. लेकिन आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी इन्हें शहीद या स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं मिल पाया. परिजन आज भी लगातार प्रयास कर रहे हैं. भगत सिंह की संस्था का लेटर आज भी इस परिवार के पास है. इसके साथ ही इनकी मौत के बाद आकाशवाणी महाराष्ट्र में प्रकाशित समाचार भी है. तत्कालीन विधायक चंडीकेश्वर शरण सिंहदेव ने इस परिवार को सेनानी मानकर 14 एकड़ जमीन दी थी, उसके भी कागजात हैं. लेकिन आज इस परिवार के पास ना वो जमीन है और ना ही इन्हें सम्मान मिल सका. परिवार आर्थिक लाभ नहीं चाहता लेकिन अपने पूर्वज के बलिदानों कर बदले सम्मान की मांग कर रहा है."

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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