सरगुजा :साल 1948 में 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना हुई और 1950 से इस दिन को वर्ल्ड हेल्थ डे के रूप में मनाया जाने लगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते दिनों में विश्व में यूनीवर्सल हेल्थ स्कीम का फॉर्मूला विश्व के सामने रखा और इसमें स्वास्थ्य के अधिकार की बात की गई. इस दिशा में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी इस फॉर्मूले को साकार करने के दिशा में कदम बढ़ाए. बीते ढाई साल में तेजी से बदलाव किये गये. यह बदलाव सरगुजा में दिखने लगा है. यहां शासकीय स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा परिवर्तन दिखता है.
सरगुजा में स्वास्थ्य सुविधाएं कीमोथेरेपी भी अब मुफ्त हुई
परिकल्पना के आधार पर स्वास्थ्य मंत्री ने सबसे छोटी इकाई सब हेल्थ सेंटर से सुविधाओं को दुरुस्त करने की बात की थी. धीरे-धीरे इसी कड़ी में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारा जा रहा है. शहरी क्षेत्र में 3 शहरी स्वास्थ्य केंद्र और 14 हेल्थ सेंटर के माध्यम से बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा शहरी गरीबों को मिल रही है. कीमोथेरेपी जैसा महंगा इलाज मुफ्त में हो रहा है, तो वहीं ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में भी बड़ा परिवर्तन आया है.
शहरी स्वास्थ्य केंद्र में बढ़ी सुविधाएं आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं अंबिकापुर के शहरी स्वास्थ्य केंद्र
घर में हो रहे जीरो प्रतिशत प्रसव
सरगुजा जिले में लगातार संस्था गत प्रसव को बढ़ावा दिया गया. बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित किया गया. आशा कार्यकर्ताओं का बड़ा योगदान रहा. लोगों को इन्ही के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है. सरगुजा में ऐसे भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के मापदंड नेशनल क्वॉलिटी ऐसोरेंश स्टैंडर्ड के लिए आवेदन किया. जिले में लुंड्रा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रदेश का पहला शासकीय अस्पताल है जिसने इस क्वॉलिटी के टेस्ट के लिये आवेदन किया है. इस स्वास्थ्य केंद्र में जिले में सबसे अधिक प्रसव कराने का रिकार्ड दर्ज है. इस क्षेत्र में जीरो प्रतिशत प्रसव घर में हुए है. साल में एक हजार से अधिक IPD, दस हजार से ज्यादा OPD के साथ जिले का पहला सुरक्षित गर्भपात केंद्र लुंड्रा के छोटे से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में शुरू हुआ. अब यह जिले में 5 स्थानों पर संचालित है. लुंड्रा के अलवा रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी यह सुविधा संचालित है. जिले में 1 मेडिकल कालेज अस्पताल, 6 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 3 शहरी स्वास्थ्य केंद्र, 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 197 उप स्वास्थ्य केंद्र या सब हेल्थ सेंटर संचालित हैं.
डायरिया का संकट हुआ दूर
इसके साथ ही जिले के मैनपाट क्षेत्र के कुछ गांवों में हर साल डायरिया का प्रकोप लोगों की जान ले लेता था, लेकिन बीते सालों में इन गांव से डायरिया का संकट खत्म हो चुका है. अब यहां डायरिया से मौत नहीं होती. स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिये खूब मेहनत की है. लगातार उस क्षेत्र में महीनों स्वास्थ्य शिविर लगाए गए. खुद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इस क्षेत्र में रहकर लोगों को जागरूक करने का काम किये थे. जिसके परिणाम स्वरूप अब यहां कोई डायरिया का शिकार नहीं होता है. मुख्य रूप से तीन अलग-अलग सेक्टर में काम किये गए. पहला अस्पतालों का इंस्फ्रॉस्ट्रेक्चर सही करना, दूसरा दवाइयों की उपलब्धता और तीसरा ह्यूमन रिसोर्सेस मतलब डॉक्टर व अन्य स्टाफ की उपलब्धता रखना. इन तीन कमियों को दूर करने के बाद एक बड़ा टीम वर्क हुआ. जिस वजह से आज सरगुजा जिला शासकीय स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर परिणाम दे पा रहा है.
सरगुजा के अस्पताल का बदला स्वरूप छोटी इकाईयां तो दुरस्त हुई बड़ी इकाईयों में अभी भी कमी
फिलहाल स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के प्लान के अनुसार सबसे छोटी इकाई से बड़ी इकाई तक क्रमशः विस्तार तो दिख रहा है, लेकिन बड़ी इकाइयों में अब भी कमियां दिखती है. मेडिकल कॉलेज संबंद्ध जिला अस्पताल में अब भी बहुत सी कमियां है. जिन्हें पूरा करना बेहद जरूरी दिखाई पड़ता है. यहां ट्रामा यूनिट, न्यूरो सर्जन, न्यूरो फीजिशियन की कमी बेहद खलती है. वहीं डायलिसिस यूनिट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तो लगी है लेकिन किडनी मरीजों की अधिक संख्या के आगे यह यूनिट काफी नहीं है. लिहाजा डायलिसिस की सुविधा में विस्तार करते हुए शहरी स्वास्थ्य केंद्र व विकासखंड स्तर पर किये जाने की जरूरत है.