सरगुजा :लोक कला(Folk Art) के साथ अपनी खास परम्पराओं (special traditions)के लिए प्रसिद्ध सरगुजा (surguja)के करमा (Karma Utsav)उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. भादो मास के एकादशी के दिन व्रत के साथ इस उत्सव की शुरुआत होती है. कहते हैं कि इस दिन बहनों के निर्जल व्रत (waterless fasting)रखने से और करमा की डाल (karma's stick)से करम देवता (Karam Devta)की पूजा करने से उनके भाईयों की उम्र लंबी होती है. इसी मान्यता के साथ यहां वर्षों से इस परम्परा का लोग पालन करते हैं.
सरगुजा में करम देव की पूजा के साथ शुरू हुआ करमा उत्सव करम देवता की पूजा से शुरू होता है करमा उत्सव
भादों माह की एकादशी के दिन व्रत रखने के बाद रात में करम देव की पूजा करने के बाद फलाहार करने से करम देवता खुश होते हैं. उसके बाद इस उत्सव की शुरुआत होती है. इस दौरान सरगुजा के गांवों-मोहल्लों में महिला और पुरुषों का समूह करमा गीत और मांदर की थाप पर करमा नृत्य कर धूमधाम से ये उत्सव मनाते हैं.
पूजा समापन के बाद व्रती देर रात करती हैं फलाहार
वहीं, सरगुज़ा के इस पारंपरिक पर्व को करीब से देखने के लिए ETV भारत सरई टिकरा गांव के माझापारा पहुंचा. जहां गांव के ही करम साय राजवाड़े के घर में यह पूजा आयोजित की गई थी. इस दौरान देखा गया कि बड़े से आंगन में गांव की सभी व्रती महिला और पुरुष जुटे थे. जिसके बाद आंगन में करमा की पूजा रात 10 बजे शरू हुई और लगभग 12 बजे तक यह पूजा चली. पूजा समाप्त होने के बाद व्रती अपने अपने घर गयीं और फलाहार ग्रहण कर व्रत का पारण किया. कहते हैं कि इस दिन पूरे दिन निर्जल रहकर व्रती देर रात फलाहार के साथ पारण करती हैं.सरगुज़ा के गांव के फलाहार भी थोड़ा अलग हैं, चावल के आटे का फरा, सेवई की मिठाई और फल यहां मुख्यरूप से व्रत के बाद खाने का चलन है.
करमा नृत्य के साथ देर रात शुरू हुआ उत्सव
सरगुजा में गांव के एक व्यक्ति ने करमा पूजा कराई और करमा व्रत क्यों किया जाता है कब यह शुरू हुआ इसकी कहानी महिलाओं को सुनाई. पूजा के समापन और फलाहार के बाद देर रात मंदार, झांझ लेकर ग्रामीण लोक कला के रंग सराबोर हुए उत्सव के रंग में रंगते नजर आये. फिर करमा नृत्य के साथ उत्सव का आगाज हुआ.इस दौरान अम्बिकापुर आकाशवाणी में सरगुजिहा लोक कला की प्रस्तुति देने वाले जवाहर राजवाड़े से बातचीत हुई. उन्होंने बताया की यह व्रत करने का उद्देश्य बच्चे, घर-परिवार, समाज सबकी सुख समृद्धि की कामना करना है. इस दौरान जवाहर ने ETV भारत को भी एक करमा लोक गीत गा कर सुनाया.