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सरगुजा में सेफ हैं बेटियां, 1 हजार लड़कों पर 965 लड़कियों का जन्म

कन्या भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण जैसे अपराधों को रोकने के लिये सरगुजा में स्वास्थ्य विभाग ने एक समिति का गठन किया है. समिति महीने में 2 बार डायग्नोस्टिक सेंटरों का निरीक्षण करती है. सरगुजा में 1 हजार लड़कों पर 965 लड़कियों का जन्म हुआ है.

prevent pre natal sex determination tests
डायग्नोस्टिक सेंटरों में नहीं हो रहा भ्रूण लिंग परीक्षण

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Published : Mar 16, 2021, 9:14 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: सरगुज़ा जिले में चलने वाले डायग्नोस्टिक सेंटरों में सोनोग्राफी तकनीक का दुरुपयोग होता नहीं दिख रहा है. यहां जिले में एक भी अनाधिकृत सोनोग्राफी सेंटर संचालित नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के इस दावे में सच्चाई लिंगानुपात के आंकड़ों में भी नजर आती है. यहां 1000 लड़कों पर 965 लड़कियों का जन्म दर्ज किया गया है. यह आंकड़े संतोष जनक माने जा रहे हैं.

नहीं हो रहा भ्रूण लिंग परीक्षण

गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व सुरक्षित गर्भधारण के लिये होने वाली जांच में से एक सोनोग्राफी भी है. लेकिन अक्सर इसके दुरुपयोग की खबरें भी सामने आती है. कई बार देखा जाता है कि इस तकनीक का इस्तेमाल लोग यह जनाने के लिये करते हैं कि गर्भ में पल रहा नवजात लड़का है या लड़की. इसके बाद कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम भी दिया जाता है.

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निरीक्षण के लिए एक समिति का गठन

समाज में कन्या भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण जैसे अपराधों को रोकने के लिये स्वास्थ्य विभाग ने एक समिति का गठन भी किया है. इस समिति का काम डायग्नोस्टिक सेंटरों में सोनोग्राफी तकनीक के दुरुपयोग को रोकना है. समिति महीने में 2 बार डायग्नोस्टिक सेंटरों का निरीक्षण भी करती है. ताकि सेंटरों में सभी मानकों को परखा भी जा सके.

27 सोनोग्राफी सेंटर संचालित

पीसीपीएनडीटी एक्ट (पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम) के तहत नियमों को पूरा कर लाइसेंस प्राप्त करने वाले सोनोग्राफी सेंटरों का यहां संचालन किया जा रहा है. सभी की मान्यता की जांच समय-समय पर की जाती है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 27 सोनोग्राफी सेंटर संचालित हैं. इससे पहले 28 सोनोग्राफी सेंटर थे. लेकिन इनमें से एक सेंटर को बंद कर दिया गया है. जिले के अधिकारी भी समय-समय पर निर्देश जारी करते हैं.

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सरगुजा में लोग जागरूक

स्वास्थ्य विभाग नियमित जांच के माध्यम से सोनोग्राफी सेंटरों पर नजर रखता है. ताकि नियमों के पालन का परीक्षण किया जा सके. विभाग का मानना है कि ऐसे मामलों में लोगों को जागरूक करना ही सबसे बड़ी जीत होती है. सरगुजा में लिंगानुपात के आंकड़े बताते हैं कि आदिवासी बाहुल्य इस जिले में लोग कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध को लेकर काफी सजग हैं.

प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम सलाहकार समिति की सदस्य अर्चना दीक्षित ने कहा कि ऐसे अपराधों में अक्सर शिक्षित और शहरी परिवारों की भूमिका सामने आती है. सरगुज़ा एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां लोग बच्चों को जन्म देते हैं और पालते हैं. यहां भ्रूण परीक्षण और भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं न के बराबर सामने आती है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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