सरगुजा: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. यहां निवास करने वाले प्रतिभाओं को जरूरत है सिर्फ एक मौके की. और जब भी उन्हें ये मौका मिला है उन्होंने बहतर काम कर के दिखाया है. ऐसी ही एक प्रतिभा का नाम रिबिका लकड़ा है. रिबिका मैनपाट क्षेत्र के ग्राम पैगा में रहने वाली हैं. आदिवासी समाज की बेटी रिबिका लकड़ा एक अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी हैं. उन्होंने अपने संभाग के साथ ही छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है.
अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी रिबिका लकड़ा कुछ दिनों पहले अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी रिबिका लकड़ा (International basketball player Ribika Lakda )की एक फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई. इसमें खिलाड़ी मजदूरी करते हुए नजर आ रहीं थी. ETV भारत ने इस मुद्दे पर रिबिका लकड़ा से बात की है. ETV भारत लागातार ऐसे मुद्दों पर जिम्मेदारों से भी सवाल पूछता है. ETV भारत की टीम ने रिबिका से बात कर उनके हालातों की जानकारी ली है. साथ ही यह जानने की कोशिश की है कि आखिर क्यों रिबिका अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी होने के बावजूद मजदूरी कर रही थी?
कलेक्टर ने लिया संज्ञान
खिलाड़ी रिबिका लकड़ा की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सरगुजा कलेक्टर संजीव झा ने तत्काल मामले में संज्ञान लिया. उन्हें जनपद पंचायत कार्यालय के जरिए तत्काल सहायता उपलब्ध कराई. रिबिका को कलेक्टर दर पर कार्यालयीन कार्य देने की घोषणा भी कर दी गई है. उरांव समाज ने भी 11 बास्केटबॉल खिलाड़ियों को 5 -5 हजार रुपए की नगद सहयोग राशि दी है.
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सवाल: सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में आप मजदूरी कर रही हैं, ऐसा क्यों ?
जवाब: रिबिका ने कहा कि मजदूरी करने जैसी कोई बात नहीं है. गांव में कई दिनों से लाइट नहीं थी. इस वजह से प्रैक्टिस नहीं कर पा रही थी. खाली समय में सोंचा क्यों ना पिता का हांथ बंटा दिया जाए. रिबिका ने बताया कि पिता राज मिस्री हैं, लिहाजा रिबिका भी उनका सहयोग करने चली गई. इस दौरान ली गई रिबिका की मजदूरी करती हुई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.
सवाल: क्या आपको फिलहाल किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है?
जवाब:रिबिका ने बताया कि फिलहाल ऐसी कोई बात नहीं है. फोटो और सूचना वायरल होने के बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया. प्रशासन की ओर से मदद भी दिया जा रहा है. प्रशासन ने रिबिका को कलेक्टर दर पर नौकरी देने की बात कही है. उसे तत्काल प्रैक्टिस के लिए किट उपलब्ध कराई गई है. रिबिका सहित कुल 11 बास्केटबॉल खिलाड़ियों को कलेक्टर ने खुद किट उपलब्ध कराई है.
सवाल: अबतक आपने कितने मेडल जीते हैं, और कहां-कहां आपने बास्केटबॉल खेला है?
जवाब:12वीं की छात्रा रिबिका ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अबतक 4 गोल्ड और 3 सिल्वर मेडल जीते हैं. कई प्रमाण-पत्र भी हासिल किए हैं. उनका कहना है कि मेडल और प्रमाण-पत्र आगे की तैयारियों और परिवार की मदद के लिए काफी नहीं हैं. इसके लिए सबसे बड़ी जरूरत पैसा है. जिसके लिए वह मजदूरी कर रही है. रिबिका ने अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल प्रतियोगिता में यूरोप में देश की तरफ से भाग लिया था. वह बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली सहित दूसरे राज्यों में खेल चुकी हैं.
रिबिका जैसी कई नेशनल प्लेयर हैं, जो वनांचल के इन इलाकों में गुमनामी की जिंदगी बसर करती हैं. ना तो इन पर जिला प्रशासन का ध्यान जाता है और ना ही खेल एवं युवा कल्याण विभाग कभी इनकी सुध लेते हैं. छत्तीसगढ़ के इन खिलाड़ियों को जैसे ही एक मौका मिलता है वो अपना कमाल दिखा देते हैं.