सरगुजा:अम्बिकापुर के घुटरा पारा में रहने वाले संजय अग्रवाल की आर्थिक स्थिति भले ही खराब है, घर में चारपाई टूटी है, लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. उनके हौसले के कारण उनकी दिव्यांग बेटी के हौसले भी उड़ान भरने को तैयार है. 16 वर्ष की प्रिया के दोनों पैर खराब हैं, वो चल नही पाती हैं. संजय रोज बेटी प्रिया को अपनी बाइक पर पीछे बिठाते हैं और मफलर या गमछे से उसे अपनी कमर में बांध लेते हैं और स्कूल पहुंचाते हैं.
प्रिया के बारे में जानिए: प्रिया शासकीय कन्या विद्यालय में कक्षा 7 वीं में पढ़ती है. वो बचपन से ही दिव्यांग है. दोनों पैरों में जान नहीं है. वो खुद से बैठ तक नहीं पाती हैं. पिता संजय स्ट्रीट वेंडर हैं, आर्थिक हालात भी ठीक नही है. प्रिया टीचर बनना चाहती है. ऐसे में उसके पिता संजय उसका सहारा बने हुये हैं. रोज सुबह संजय प्रिया को गोद में उठाकर अपनी गाड़ी में बिठाते हैं, वो गिर न जाये इसलिए उसे मफलर की मदद से अपनी कमर से बांध लेते हैं.
पिता का स्कूल में प्रिया करती है इंतजार: संजय तब तक काम करने नहीं जाते, जब तक प्रिया स्कूल से वापस घर नहीं आ जाती है. संजय प्रिया को स्कूल छोड़ने के बाद घर पर ही उसकी छुट्टी का इंतजार करते हैं. स्कूल से उसे घर लेकर आते हैं और फिर अपने काम पर जाते हैं. बेटी ठीक हो सके इस लिए कई जगह इलाज कराने भी गये, कर्ज लेकर इलाज कराया गया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली. बेटी की चिंता से परिवार के लोग टूट चुके हैं. चिंता इस बात की है कि उनके बाद उसका भविष्य क्या होगा. कौन उसकी देखभाल करेगा.