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India First Garbage Cafe in Ambikapur : जानिये देश के पहले गार्बेज कैफे की सच्चाई, क्या इसे बंद करने का ख्याल उचित ?

सरगुजा को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचान दिलाने वाले गार्बेज कैफे (India First Garbage Cafe in Ambikapur) की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं. इसे बंद करने की भी चर्चा हो रही है. लेकिन नगर निगम मेयर की राय है कि इसे बंद नहीं करना चाहिए. इसी से सरगुजा की पहचान देश-विदेश में हुई है...

India First Garbage Cafe in Ambikapur
जानिये देश के पहले गार्बेज कैफे की सच्चाई

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Published : Dec 26, 2021, 5:06 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा :अम्बिकापुर नगर निगम (Ambikapur Municipal Corporation) की सामान्य सभा की बैठक सोमवार को राजमोहिनी देवी ऑडोटोरियम में हुई थी. इसमें सदस्यों के सवालों पर तो चर्चा हुई. लेकिन विपक्ष ने इस गार्बेज कैफे की उपयोगिता पर सवाल उठाए. जबकि इस कैफे ने देश के पहले गार्बेज कैफे (India First Garbage Cafe in Ambikapur) के रिकार्ड के साथ सरगुजा को बड़ी पहचान दिलाई है. गार्बेज कैफे संचालक को लाभ देने और कैफे में दुकान संचालित करने जैसे आरोप भी लगाए गए. गार्बेज कैफे बंद करने की बात ने भी तूल पकड़ी.

ऐसे में हमने अम्बिकापुर के गार्बेज कैफे की पड़ताल की. यह जाना कि क्या वाकई इसकी उपयोगिता नहीं है? क्या गार्बेज कैफे सिर्फ नाम के लिए खोला गया था? क्या अब इसे बंद कर देना चाहिये? इन सवालों के जवाब तलाशते हमने कुछ आंकड़े जुटाए. यह आंकड़े बताते हैं कि गार्बेज कैफे आज भी उपयोगी है. इसे बंद करना ठीक नहीं. आगे जानिये हमारी पड़ताल में गार्बेज कैफे से जुड़े और कौन-कौन से तथ्य सामने आये.

जानिये देश के पहले गार्बेज कैफे की सच्चाई


कितने पॉलीथिन के बदले कितना भोजन

9 अक्टूबर 2019 में शुरू हुआ यह गार्बेज कैफे (India First Garbage Cafe launched on 9 October 2019) अब तक लॉक डाउन से पहले तक 3156 लोगों को भोजन और 525 लोगों को नास्ता निःशुल्क दे चुका है. जबकि कोरोना काल के बाद जब इसे दोबारा शुरू करने पर अब तक 562 लोगों को खाना और 20 लोगों को नाश्ता मिल चुका है. रोजाना 3 से 4 लोग पॉलीथिन लेकर आते ही हैं. मतलब अब भी गार्बेज कैफे में लोग वेस्ट पॉलीथिन लेकर पहुंचते हैं. ऐसे में इसे बंद करने का ख्याल क्यों आ रहा है.

आपको बता दें कि यहां 1 किलो वेस्ट पॉलीथिन लाने पर मुफ्त में खाना और आधा किलो पॉलीथिन पर मुफ्त में नाश्ता दिया जाता है. इस हिसाब से गार्बेज कैफे की योजना से नगर निगम के एसएलआर सेंटर को 3 हजार 990 किलो वेस्ट पॉलीथिन प्राप्त हो चुका है. मतलब 3 हजार 990 किलो वेस्ट पॉलीथिन को नगर निगम ने इस माध्यम से दुरुपयोग होने से रोका है.



दुकान संचालन पर बवाल

सामान्य सभा में गार्बेज कैफे पर आरोप लगे कि कैफे के बाहर संचालक अपनी होटल चलाता है. इससे नगर निगम के राजस्व को क्षति पहुंच रही है. विपक्ष ने तर्क दिया कि नगर निगम की दुकान गार्बेज कैफे संचालक को सब्सिडी दर पर किराए पर दी गई है. जबकि वो वहां लाभ कमा रहा है. इस मामले में संचालक का कहना है कि गार्बेज कैफे संचालन के लिए नगर निगम द्वारा 20 रुपये एक व्यक्ति के खाने का और 10 रुपये नाश्ते का दिया जाता है.

इतने भुगतान में तो वो बिजली का बिल भी नहीं भर पायेगा. फिर स्टाफ का खर्चा और लागत का खर्चा कैसे रिकवर होगा. नगर निगम ने जब गार्बेज कैफे खोला था, तभी संचालक को यहां अपना होटल चलाने की भी अनुमति दी थी. इसलिए वो होटल चलाकर कैफे के नुकसान की भरपाई कर लेते हैं.


विश्व स्तर पर हो चुकी है तारीफ

देश के पहले गार्बेज कैफे के खुलने के बाद अम्बिकापुर नगर निगम के इस प्रयास की सराहना विश्वभर में हुई. विदेश से रिक एडकिन्स और जिम स्टीवेंशन समेत भारत के मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा (Industrialist Anand Mahindra) ने ट्विट कर इसकी सराहना की थी. वहीं विश्वभर की मीडिया संस्थानों ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था. ऐसे में इस धरोहर को बंद करने का ख्याल गलत ही लगता है.

हालांकि सरगुजा मेयर अजय तिर्की (Surguja Mayor Ajay Tirkey) ने गार्बेज कैफे बंद करने की बात को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि यह शहर की शान है. शहर की पहचान विदेश में इसी के कारण हुई है. इसे बंद नहीं किया जा सकता. अगर कोई कमी है तो सभी को सामूहिक प्रयास से उसे दूर करना चाहिए. इसके लिए जरूरत है लोगों में और जागरूकता लाई जाये ताकि ज्यादा से ज्यादा वेस्ट पॉलीथिन कैफे में पहुंच सके.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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