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SPECIAL: पर्यावरण बचाने इतनी सावधानियों के बीच नष्ट किए जाते हैं बायो मेडिकल वेस्ट

मेडिकल वेस्ट पर्यावरण और इंसानों के लिए बेहद खतरनाक होता है. इसे देखते हुए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल वेस्ट के निपटारे के लिए एक संयंत्र लगाया गया है, जिसकी मदद से इसका निपटान किया जाता है.

incinerator being used to dispose bio medical waste
बायो मेडिकल वेस्ट का निपटान

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Published : Jan 20, 2021, 1:51 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: स्वच्छ भारत मिशन और पर्यावरण संरक्षण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के तमाम निर्देशों के बाद अस्पतालों के कचरे का निपटान सबसे अहम काम है, क्योंकि मेडिकल वेस्ट पर्यावरण और मानव के लिए बेहद खतरनाक होता है. अस्पताल में बीमार मरीज से संक्रमित मेडिकल वेस्ट के संपर्क में आने से जहां लोग संक्रमित हो सकते हैं, तो वहीं इसके साधारण निपटान से पर्यावरण को भी खतरा हो सकता है. लिहाजा अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए इंसीनरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है.

बायो मेडिकल वेस्ट का निपटान

क्या है इंसीनरेटर

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पिछले इलाके में एक यूनिट स्थापित की गई है, जिसे इंसीनरेटर कहा जाता है. इस मशीन में 1 घंटे में 50 किलो बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज किया जाता है. यह मशीन डीजल से चलती है. खास बात ये है कि मशीन को चलाने वाला ऑपरेटर पीपीई किट पहनकर मशीन ऑपरेट करता है, क्योंकि बायो मेडिकल वेस्ट कई अलग-अलग तरह के संक्रमण का संग्रहण होता है. ऐसे में इसे छूने वाले इंसान के लिए यह बेहद खतरनाक हो सकता है. लिहाजा इस काम में लगे टेक्नीशियन सहित सभी हेल्थ वर्कर्स को अतिरिक्त सावधानी रखने का प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि लोगों की गंदगी साफ करने में कहीं ये खुद गंभीर बीमारी से ग्रस्त न हो जाएं.

इंसीनरेटर

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प्राइवेट अस्पताल देते हैं शुल्क

इंसीनरेटर में मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित शहर के तमाम प्राइवेट अस्पताल का भी बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोज किया जाता है. जिसके लिए अलग-अलग कैपिसिटी वाले अस्पतालों से 750 से 2 हजार रुपये तक का शुल्क मेडिकल कॉलेज प्रबंधन लेता है. अस्पताल के वार्डों में कचरा रखने के लिए 4 अलग-अलग रंग के डस्टबिन रखे जाते हैं. सफेद, नीला, लाल और पीला. यह पीला डस्टबिन ही बेहद खतरनाक होता है. इसी में मरीज के शरीर से निकलने वाले और उसमें उपयोग किए जाने वाले सारे सर्जिकल और बायो मेडिकल वेस्ट रखे जाते हैं. सफाईकर्मी इसे अलग से ही एक कंटेनर के जरिए इंसीनरेटर तक पहुंचाते हैं, जहां इसे मशीन में डालकर जला दिया जाता है.

इंसीनरेटर

डिस्पोज के बाद बचती है राख

इंसीनरेटर में बायो मेडिकल वेस्ट एक बड़े टैंक में डाला जाता है. इसमें जल रही आग के तेज तापमान में बायो मेडिकल वेस्ट पूरी तरह जलकर राख बन जाता है. इंसीनरेटर की 30 फीट ऊंची चिमनी से धुआं बाहर निकल जाता है और दूसरे छोर से राख बाहर आ जाती है. ये प्रोसेस अस्पताल में लगातार जारी रहती है. बायो मेडिकल वेस्ट के अलावा जनरल मेडिकल वेस्ट को नगर निगम की स्वच्छता दीदी ले जाती हैं और उसे सेग्रिगेट कर उसे रीयूज किया जाता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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