सरगुजा :नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे 2021 (National Family Health Survey 2021 ) की रिपोर्ट और कोरोना के नए वैरिएंट जैसे गंभीर विषयों पर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने ETV भारत से खास बातचीत की. छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के लिए बेहतर परिणाम सामने आए हैं. लगातार कई क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा भी हुआ है, लेकिन बच्चों को संतुलित आहार न मिल पाने की वजह से कुपोषण के आंकड़े छत्तीसगढ़ में चिंताजनक हैं. एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार कुपोषण में बड़े काम करने के दावे करती है तो दूसरी तरफ सर्वे में इस तरह की रिपोर्ट सामने आती है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले में सरकार का बचाव करते हुए बात आगे बढ़ा दी. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को मिली बड़ी उपलब्धियां भी गिनाईं.
स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से विशेष बातचीत सवाल :ये जो कोरोना का नया वैरिएंट है, कितना खतरनाक है? इसको लेकर किस तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं?
जवाब :इसमें चिंता काफी है. चिंता का कारण है इस वायरस के 50 म्यूटेशन और स्पाइक प्रोटीन, जिसके माध्यम से वायरस प्रवेश पाता है. उसमें 30 म्यूटेशन देखे गए, जो अपने आप में बहुत बड़ी संख्या है. किसी म्यूटेशन के जीन सीक्वेंस में इतना बड़ा अंतर ये अपने आप चिंता को बहुत बढ़ाता है. साउथ अफ्रीका ने इसको डिटेक्ट किया. पहले 2 केस फिर और केस की जानकारी वहां से आ रही है. चिंता इस बात की है कि क्या हम जो वैक्सीन ले रहे हैं, वह हमको इस वैरिएशन से बचा कर रखेगी. चिंता इस बात की नहीं है कि नया वैरिएशन आया, चिंता इस बात की है कि इसमें बहुत ज्यादा म्यूटेशन हैं. रिसर्च के बाद अगर इसका परिणाम सामने आता है कि वैक्सीन इसमें काम नहीं करेगी तो बहुत बड़ी चिंता हो जायेगी. इसे जहां तक रोकने की बात है तो हम सब इसको देख रहे हैं. जान रहे हैं. विश्व भर में आज जो केस हैं, उनमें 95 प्रतिशत डेल्टा वैरिएंट हैं, तो क्या ये नया वेरिएंट भी इतना बढ़ेगा. डेल्टा के विषय में हमको जानकारी है कि उसमें वैक्सीन काम करेगी, लेकिन अगर डेल्टा की जगह ये ले लेता है और वैक्सीन ने काम नहीं किया तो ये बहुत चिंता की बात है.
सवाल :क्या कोई रिसर्च इस पर की जा रही है?
जवाब :ये जीन सीक्वेसिंग से ही पता चलता है. अगर आप पॉजिटिव पाए गए तो आपके सैंपर को जीन सीक्वेसिंग के लिए भेजा जाता है. जीन सीक्वेसिंग बताता है कि कितने परिवर्तन हैं और किस प्रकार के परिवर्तन हैं. जीन सीक्वेसिंग की जा रही है. अभी देश में 2 साउथ अफ्रीका से आये नागरिक पॉजिटिव पाये गये हैं, उनमें ये वैरिएंट है कि नहीं इसकी जांच को जीन सीक्वेसिंग के लिए दिया गया है. लोग जो विदेशों से आ रहे हैं, अगर वो पॉजीटिव पाए जाते हैं तो अब उनकी भी जीन सीक्वेसिंग की जांच की जायेगी.
सवाल :किस तरह की सावधानी अब बरती जाएगी, क्या निर्देश हैं?
जवाब :निर्देश सावधानी के हैं. अभी तक यहां कोई केस सामने नहीं आया है. हमारे पास अपनी कोई फेसिलिटी नहीं है. जीन सीक्वेसिंग की ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट है, हम उनका सहारा लेते हैं. वरना ओड़िशा भेजने की भारत सरकार के प्रावधान हमारे पास हैं. इसमें टाइम बहुत लगता है. करीब 3 से 5 महीने लग जाते हैं इसमें. उतने तक तो फिर स्थिति कंट्रोल से बाहर हो जाती है. एम्स में एक से 2 हफ्ते में हो जाता है. इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने एक बार फिर लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है.
सवाल :बूस्टर डोज की कितनी जरूरत दिखती है. इसको लेकर किस तरह के प्रयास किये जा रहे हैं?
जवाब :मैं बूस्टर डोज के पक्ष वाला हूं. इसको लेकर मैं जितना समझ पाया हूं, इसकी आवश्यकता अन्य देशों में पड़ी है. उन्होंने इसका उपयोग भी शुरू कर दिया है. हमको अपने वैज्ञानिकों के शोध का इंतजार करना होगा. पहले अंतर इस बात का था कि हमारे पास वैक्सीन नहीं थी. जहां तक सवाल बूस्टर डोज का है तो यह देखना होगा कि किसने कितनी डोज कंप्लीट की है? स्वाभाविक है कि जिनको नहीं मिला है, उनको पहले पहली डोज दी जाएगी. फिर दूसरी डोज. और फिर बाद में बूस्टर डोज. छत्तीसगढ़ में 88 प्रतिशत के आसपास पहली डोज लग चुकी है. दूसरी डोज भी 50 प्रतिशत लग चुकी है. पहली डोज के बाद दूसरी डोज का समय है. हर राज्य के पास पर्याप्त वैक्सीन का स्टॉक है.
सवाल : केंद्र सरकार ने पीएम आवास ग्रामीण की राशि रोक दी और कहा जा रहा की राज्यांश नहीं देने के कारण ऐसा हुआ?
जवाब : ये कुछ हद तक सही है. उन्होंने राशि रोक नहीं दी, बल्कि विड्रॉ कर लिया है कि जो उनका आबंटन है. क्योंकि राज्य सरकार की ओर से जो मैचिंग ग्रांट हमको उपलब्ध कराना था, ये 60-40 वाली योजना है, 60 प्रतिशत पैसा केंद्र का और 40 प्रतिशत पैसा राज्यों का राज्यांश रहता है. जो हम लोन लेकर करते हैं. कोरोना के समय अन्य वजहों से हमको लोन इतना लेना पड़ा. जीएसटी का पैसा केंद्र सरकार ने कटौती की. उसको भी भरपाई करने के लिए हमको लोन का सहारा लेना पड़ा. अन्य जो हमारे खर्चे हैं इन परिस्थितियों में केंद्र सरकार से जो सहयोग मिलना था वो नहीं मिला. अभी डीजल पेट्रोल पर जो भाव काटे इन्होंने राज्य को प्रभावित करने वाले टेक्स में कटौती कर दी. केंद्र को जो भार लेना था. सेश का सेश में कटौती ना करके एक्साइज में काटा तो करीब 450 करोड़ रुपये हमारे उसके कट गये, तो हमारी राशियां जब खर्च होती हैं और खर्च करने के लिए हमको लोन लेना पड़ता है, और लोन लेने के कारण हमारी कैपेसिटी ऐसी नहीं रह जाती है कि प्रधानमंत्री आवास के लिए हम लोग लोन ले सके, इसलिए बार-बार केंद्र सरकार से हम लोग कहते हैं कि राज्यों की आमदनी की जो स्थिति है उस पर कटौती मत होने दीजिए. वरना उसका प्रभाव बाकी योजनाओं पर पड़ता है.
सवाल : अब क्या पहल होगी?
जवाब :ये हमेशा के लिए नहीं रोका है, ये इस बार के आबंटन को उन्होंने रोका है. जनवरी, फरवरी मार्च, तक के जो आबंटन हैं ये रोका है. तो हमको ये देखना पड़ेगा कि क्या कोई ऐसी राशि है जिसको हम उपलब्ध करा पाएंगे तभी हम इसका लाभ नागरिकों को दे पायेंगे.
सवाल : नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के परिणाम आ गये हैं जिसमे छत्तीसगढ़ में और खासकर आपके विभाग में स्वास्थ्य विभाग में किस तरह का ग्रोथ और डिग्रोथ देखते हैं?
जवाब :इसमें कुछ तो आंकड़े आये हैं वो संतोष देने वाले हैं कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम किया है, अगर आप मृत्यु दर देखें न्यूनेटल जो छोटे बच्चों में मृत्यु दर था वो 42.1 से घटकर 32.4 पर आया है. इनफ्रंट मोटेलिटी रेट 5 साल के नीचे 54 से घटकर 44.3 पर आया है. करीब 10 बच्चों को हम और बचा पा रहे हैं, यूएसएमआरवी जो 65.3 था वो 50.4 पर घटकर आ गया है. तो इसमें हमारी अच्छी उपलाधियाँ रही हैं. परिवार नियोजन में भी आप देखेंगे तो जिन लोगों ने किसी भी प्रकार की सावधानी का उपयोग किया है. ये 57.7 से बढ़कर 67.7 हुआ है. फीमेल स्टेलेराइजेशन ये 46.2 से 47.5 इसमें भी थोड़ा सी बढ़ोतरी आई है मेल स्टेलेराइजेशन में भी छत्तीसगढ़ में बढ़ोतरी है. कंडोम के यूज में भी बढ़ोतरी हुई है. आईयूडी जो महिलाएं लगाती हैं इसमें भी 1.6 से 2.8 की बढ़ोतरी हुई है. मेटरनल हेल्थ के बारे में आप देखेंगे की जिन महिलाओं ने प्रसव पूर्व जांच 4 ईएनसी कराई है. ये 59.1 से 60.1 हुआ है. इसमें बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा है. लेकिन 1 अंक बढ़ा है, और वो माताएं जिन्होंने आईएफए का यूज किया है. 180 दिन के लिये 9.5 से लेकर 26.3 हुआ है. तो ये अच्छी बढ़ोतरी यहां पर दिख रही है. काम और करने की आवश्यकता पड़ती है, और साथ मे वो माताएं जिन्होंने बच्चे के जन्म के बाद लाभ पाया है. ये 63.6 से बढ़कर 84 हुआ है तो ये हमारे लिए खुशी की बात है कि स्वास्थ्य विभाग इसमें काम कर रहा है और ध्यान दे रहा है.
इंस्टिट्यूशनल डिलीवरी (संस्थागत प्रसव) ये 70.2 से 85.7 हुआ है, तो ये आंकड़ा बताता है कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग और उसका अमला काम कर रहा है और सफलता भी मिल रही है. 12 से 23 महीने के बच्चों को जो वैक्सिनेशन लगना चाहिए फुली वैक्सिनेशन हो गया है. ये 81.8 से 84.8 हो गया है, और डायरिया जिन बच्चों को 2 हफ्ते पहले होता था उसमें कमी आई है जिन बच्चों को डायरिया के समय मे जिंक मिल गया उसमें 28.9 से बढ़कर 40 हो गया. बच्चों में 2 हफ्ते पहले जो बुखार के लक्षण दिखने लगते थे ये 70.1 था ये घटकर 63.6 हुआ है. चिंता की बात जो सामने आई है पूरे देश और छत्तीसगढ़ के लिए वो बच्चों में एनीमिया जो पहले 41.6 था वो 67.2 हो गया है. ये बड़ी चिंता की बात है और गर्भवती महिलाएं जो 15 से 49 साल में एनीमिया के लक्षण 11 से कम जिन महिलाओं में है वो 41.5 से 51.8 दिख रहा है तो ये स्थिति अच्छी नहीं है ये चिंताजनक स्थिति है, ये बच्चों को जन्म को भी, माताओं के स्वास्थ्य को भी खराब करने का न्योता जैसा हो जाता है. न्यूट्रीशिनल स्टेटस जो बच्चों का है, उसमें 3 साल से कम उम्र के बच्चे जो कम से कम 1 घंटे मां का दूध पीते हैं जन्म के प्रतिशत के हिसाब से 47.1 से 32.2 हुआ है तो ये अच्छी स्थिति नहीं है, बच्चे जो 6 महीने से लगातार माँ का दूध ले रहे है इसमें बढ़ोतरी दिख रही है. 77.2 से 80.3 कुल बच्चे जो 6 से 23 महीने के बीच में भोजन पा रहे हैं इसमें कमी आई है. 10.9 की जगह 9.3 है, ये अच्छा नहीं है.
सवाल :कुपोषण के लिए तमाम तरह की योजनाएं छत्तीसगढ़ सरकार चला रही है फिर भी ऐसा क्यों?
जवाब :इसके बाद भी अगर ये स्थिति दिख रही है तो हमको और ध्यान देने की जरूरत है. दूसरा पूरे देश का यही हाल है तो कहीं न कहीं हम कुछ मिस कर रहे हैं. इस सर्वे ने बताया कि हमने बहुत प्रयास किया था. मुख्यमंत्री जी भी इस बात को देख रहे हैं कि कई जिलों में हमने कमी लाई है. फिर भी अगर ये स्थिति है तो हमको और काम करने की जरूरत है.